नाहन में निकली भगवान श्रीजगन्नाथ की 16वीं रथ यात्रा, उमड़ा जनसैलाब
नाहन
में निकली भगवान श्रीजगन्नाथ की 16वीं रथ यात्रा
ओडिशा के पुरी की तर्ज पर रविवार को सिरमौर जिला के मुख्यालय नाहन में हिमाचल प्रदेश की 16वीं भगवान जगन्नाथजी की रथ यात्रा निकली। हजारों की तादात में श्रद्धालु उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों से नाहन शहर में उमड़े। इस दौरान शहर की सडक़ श्रद्धालुओं की तादात से मानों जाम हो गई हो। ऐतिहासिक शहर नाहन में भगवान जगन्नाथ जी की 16वीं भव्य नगर रथ यात्रा बड़ी धूमधाम से निकाली गई। 28 जून से श्रीमद्भागवत कथा के साथ प्रारंभ हुई इस भव्य रथ यात्रा का शुभारंभ परंपराओं का निर्वहन करते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल द्वारा किया गया। रविवार को रथ यात्रा के शुभारंभ से पहले प्रात: आठ बजे विग्रह पूजन के साथ आयोजित यज्ञ में श्रद्धालुओं के द्वारा पूर्णाहुति दी गई। बड़ा चौक स्थित प्राचीन ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ जी के मंदिर से अपनी बहन सुभद्रा देवी माता के साथ बड़े भाई बलभद्र और भगवान श्रीकृष्णजी विग्रह के रूप में पालकियों में सवार होकर दिल्ली गेट बाजार से चौगान मैदान होते हुए कालीस्थान मंदिर पहुंचे।
ढोल-नगाड़ों के साथ श्रद्धालु पालकियों को कंधों पर सजाकर भगवान जगन्नाथजी को रथारुढ़ करने के लिए चौगान मैदान पहुंचे। श्री जगन्नाथ रथ यात्रा आयोजन मंडल के अध्यक्ष प्रकाश बंसल द्वारा श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी गईं। इसके बाद रथ यात्रा मुख्य पुजारी पंडित रामदत्त शास्त्री के द्वारा स्वस्ति मंत्रों के साथ आरती पूजन के बाद ब्रह्मंड पिता भगवान जगन्नाथ जी को छप्पन भोग समर्पित किए गए। रथ यात्रा प्रबंधन के द्वारा रथ के आगे झाड़ू लगाने की परंपरा निभाते हुए रथ को गति दी गई। इस भव्य रथ को जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के द्वारा खींचा गया, तो वहीं क्या पुरुष क्या नारियां बच्चा-बच्चा कृष्ण भक्ति में झूमता नाचता नजर आया। पंडित रामदत्त शास्त्री ने बताया कि श्री जगन्नाथजी के रथ को खींचने से सहयोगियों के बराबर पुण्य मिलता है। उन्होंने बताया कि यह रथ भगवान के विराजमान होने के बाद बुद्धि चित्त और अहंकार का स्वरूप होता है। उन्होंने बताया कि रथरूपी शरीर में आत्मा रूपी भगवान श्री जगन्नाथ जी साक्षात रूप में विद्यमान होते हैं। उन्होंने बताया कि रथ यात्रा शरीर और आत्मा के मेल की ओर संकेत करता है और यह आत्म दृष्टि बनाए रखने में भी प्रेरणा देता है।
वहीं रथ यात्रा मंडल समिति के अध्यक्ष प्रकाश बंसल ने बताया कि 2009 से शुरू हुई यह भव्य रथ यात्रा अब श्रद्धा का विकराल रूप धारण कर चुकी है। उन्होंने बताया कि उत्तर भारत के श्रद्धालुओं के सहयोग से भगवान जगन्नाथ जी के मंदिर के प्रवेश का पहला तोरण द्वार भी लाखों की लागत से बनकर तैयार हो चुका है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार पूरी धाम में नीम की लकड़ी का रथ बनाया जाता है। इस प्रकार इस रथ यात्रा के रथ का निर्माण भी उसी तर्ज पर किया जाएगा। उन्होंने बताया कि भक्तों और श्रद्धालुओं के सहयोग से नगर में भगवान श्री जगन्नाथ जी के चार द्वारा बनाए जाएंगे, जिनमें से एक द्वार काल पूरक श्री गुरु गोविंद सिंह जी के नाम से भी बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि गुरु गोविंद सिंह जी ने धर्म की रक्षा के साथ-साथ नाहन शहर की आक्रांताओं से रक्षा की थी। बहरहाल रविवार को आयोजित हुई भव्य रथ यात्रा चौगान से शुरू होकर मालरोड, गुन्नूघाट, लालटेन चौक, रानीताल होते हुए बस स्टैंड मां शीतला देवी मंदिर के समीप पहुंची। (एचडीएम)
भक्तों के लिए पकवानों के स्टॉल
शहर से रथ यात्रा गुजरने के दौरान श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह लोगों और सामाजिक व धार्मिक संगठनों द्वारा तरह-तरह के पकवानों के स्टॉल लगाए गए थे। हरियाणा के नारायणगढ़ से आई नारायणगढ़ सेवा समिति के अध्यक्ष सुमन दुआ व उनके सहयोगियों के द्वारा हर वर्ष की भांति इस बार भी चौगान में अटूट प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया।