इस साल 950 मीट्रिक टन कंसंट्रेट बेचेगी एचपीएमसी, बड़ी कंपनियों को ई-मेल से भेजा प्रस्ताव
हिमाचली एप्पल कंसंट्रेट बेचने को टेंडर, बड़ी कंपनियों को ई-मेल से भेजा प्रस्ताव
हिमाचल प्रदेश के सेब का बनाया गया एप्पल कंसंट्रेट बेचने के लिए एचपीएमसी ने कवायद शुरू कर दी है। एचपीएमसी इस साल 950 मीट्रिक टन एप्पल कंसंट्रेट बेचेगा, जिसके लिए उसने टेंडर किया है। टेंडर करने के साथ देश की नामी बड़ी कंपनियों को उसने ई-मेल के माध्यम से भी सूचित किया है, जिन्होंने पहले भी इसमें रुझान दिखाया था। परवाणू प्लांट में क्रश किए गए सेब के एप्पल कंसंट्रेट का रिजर्व प्राइज 130 रुपए प्रति किलोग्राम रखा गया है, जबकि पराला प्लांट में तैयार किए गए एप्पल कंसंट्रेट का रिजर्व प्राइज 135 रुपए किलो होगा। इस रिजर्व रेट से ज्यादा जो भी कंपनी पैसा देगी, उसे एप्पल कंसंट्रेट बेचा जाएगा। लगभग एक हजार मीट्रिक टन एप्पल कंसंट्रेट एचपीएमसी ने अपने लिए रखा है, जिससे वह अपने उत्पाद तैयार करके साल भर मार्केट में बेचेगा। मंडी मध्यस्थता योजना के तहत एचपीएमसी जो सेब बागबानों से खरीदता है, उसका आगे कंसंट्रेट बनाकर बेचा जाता है। इस बार उसे बागबानों से क्वालिटी सेब मिला है लिहाजा उसने दाम भी ज्यादा रखा है जिससे उसे मुनाफा होगा। पराला में प्रोसेसिंग प्लांट लगने से इस बार एचपीएमसी से आमदनी ज्यादा होने वाली है। यहां पर जो कंसंट्रेट बनाया गया है, वह आठ किलो सेब में एक किलो निकला है। मंडी मध्यस्थता योजना में अब सेब की खरीद करने का सिलसिला बंद कर दिया गया है। शुक्रवार से ही इसे बंद किया गया है, क्योंकि अभी तक किन्नौर जिला के ऊपरी स्थानों से एमआईएस में सेब मिल रहा था। एमआईएस के तहत इस बार एचपीएमसी ने बागबानों से जो सेब खरीदा गया है, उसका क्लेम इस साल 30 करोड़ रुपए के लगभग बनने वाला है। पिछले साल बागबानों से 40 करोड़ रूपए का सेब खरीदा गया था।
इस बार कम सेब मिला है, लेकिन क्वालिटी पर आधारित सेब मिला है, क्योंकि सरकार ने एमआईएस में कुछ कड़ी शर्तें लगाई थीं, जिनको बागबान पूरा नहीं कर सके। ऐसे में सरकारी एजेंसियों को भी इसका पूरा फायदा मिला है। एमआईएस के सेब को एचपीएमसी ने अपने भंडारण केंद्रों में भी स्टोर कर दिया है, ताकि समय आने पर उसका कंसंट्रेट बनाया जाए या फिर सेब पर आधारित दूसरे उत्पाद यहां पर तैयार किए जाएंगे। अभी उसके प्रोसेसिंग यूनिटों पर कंसंट्रेट बनाने का काम चल रहा है और उसने इसकी खरीद के लिए टेंडर कर दिया है। अब देखना होगा कि कौन सी कंपनी रिजर्व प्राइज से ज्यादा रेट देती है। एचपीएमसी द्वारा खरीदे गए सेब की लगभग 85 फीसदी प्रोसेसिंग कर दी गई है और उसके पास कंसंट्रेट पूरी तरह से तैयार है। इस बार अहम बात यह भी हुई है कि एचपीएमसी शिमला जिला में जो सेब खरीदकर उसे प्रोसेसिंग के लिए परवाणू भेजता था, वह नहीं हुआ। शिमला जिला में जो भी सेब खरीदा गया, वह सीधे पराला प्लांट में ले जाया गया। परवाणू के प्लांट में दूसरे क्षेत्रों से आए सेब को भेजा गया और दोनों जगहों पर प्रोसेसिंग की गई।