ऋणमोचक नहीं बन पाए सांसद: कर्ज के बोझ तले हिमाचल
ऋणमोचक नहीं बन पाए सांसद: कर्ज के बोझ तले हिमाचल, 12 साल में हो गया 3.2 गुना
केंद्र की कश्ती से कर्ज की इस नैया को पार लगाने के प्रयास होते रहे, मगर स्थिति वही ढाक के तीन पात ही रही है।
हिमाचल प्रदेश में पिछले कई दशकों से हर सरकार कर्ज लेकर ही पांच साल हांकने को विवश रही है। केंद्र की कश्ती से कर्ज की इस नैया को पार लगाने के प्रयास होते रहे, मगर स्थिति वही ढाक के तीन पात ही रही है। जनता हिमाचल प्रदेश से सांसदों को यही सोचकर लोकसभा भेजती रही कि केंद्र की बैसाखी से वे हिमाचल को अपने पैरों पर खड़ा करवाएंगे और देवभूमि के ऋणमोचक बनेंगे, मगर वे भी अपनी आवाज उसी शिद्दत से उठाने में ज्यादा सफल होते नजर नहीं आए।