कसौली: अरबों की बेनाम संपत्ति की मालिक बनेगी प्रदेश सरकार
कसौली में अरबों की बेनाम संपत्ति की मालिक बनेगी प्रदेश सरकार
हिंदी टीवी न्यूज़, सोलन/कसौली Published by: Megha Jain Updated Tue, 21 Jan 2025
सोलन जिला के कसौली क्षेत्र में अरबों रुपए की कीमत की बेनामी संपत्ति के मामले में डिवीजनल कमिश्नर की अदालत ने उपायुक्त सोलन द्वारा दिए गए फैसले को यथावत रखा है। करीब 200 करोड़ की बेनामी संपत्ति अब सरकार के अधीन की जाएगी। सोलन उपायुक्त की अदालत ने केस संख्या 4/13 (2016) में हिमाचल प्रदेश सरकार तथा दाता राम व अन्य के बीच यह फैसला सुनाया था। तत्कालीन उपायुक्त सोलन कृतिका कुल्हारी की अदालत ने इस मामले की सिलसिलेवार सुनवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश लैंड टेनेंसी एंड रिफार्म एक्ट-1972 की धारा-118 के तहत कसौली क्षेत्री की दर्जनों बीघा भूमि व उस पर निर्मित फ्लैट्स को बेनामी संपत्ति घोषित करके उसे सरकार के आधिपत्य में करने के आदेश दिए थे। गौर रहे कि यह मामला वर्ष 2014 में प्रकाश में आया था जब शिकायतकर्ता संतोष कुमार ने पुलिस को बताया कि पर्यटन नगरी कसौली के मौजा जौल, खड़ोली और शाकड़ी में कुछ लोगों ने फ्लैट बनाने के नाम पर भूमि खरीदी है और इसमें अज्ञात लोगों ने करोड़ों रुपए लगाया है, जो कि जांच के बाद बेनामी संपत्ति के दायरे में आ सकता है। शिकायत के बाद तत्कालीन एसपी ने जांच का जिम्मा एसआईटी को सौंपा और एसआईटी की जांच में कई तथ्य हैरान कर देने वाले सामने आए।
मामले में चार मुख्य आरोपी बनाए गए, जिनमें मिस्त्री का कार्य करने वाला छट्याण गांव का निवासी दाता राम और दीपक बरमानी व श्रुति बरमानी सहित दिल्ली की माउंटेंस एंड पाइंस लिमिटेड कंपनी थी। जांच में पाया गया कि बाहरी राज्यों के लोगों ने दाता राम के बैंक खाते में करोड़ों रुपए ट्रांसफर किए हैं और उसके बाद विभिन्न स्थानों पर करीब 42 बीघा भूमि खरीद कर उस पर बहुमंजिला फ्लैटों का निर्माण किया जा रहा है। लंबी जांच के बाद आखिरकार आरोपियों के खिलाफ धारा-118 के उल्लंघन का मामला दर्ज हो गया। वर्ष 2016 में मामले की जांच आरंभ हुई और वर्ष 2019 में उपायुक्त सोलन ने भूमि और उस पर हुए निर्माण को सरकार के अधीन करने का फैसला सुनाया। इस फैसले को चुनौती दी गई और यह मामला डिविजनल कमिश्नर की अदालत में गया, जहां जिला दंडाधिकारी के आदेशों को बरकरार रखा गया। उसके बाद एफसी की अदालत ने वर्ष 2021 में इस फैसले में कमियां बताते हुए इसे वापस जिला दंडाधिकारी को भेज दिया। तब सरकार हाई कोर्ट गई, जहां से यह मामला वापस जिला दंडाधिकारी सोलन को भेजा। तत्कालीन जिला दंडाधिकारी कृतिका कुल्हारी की अदालत ने पांच जनवरी, 2023 को अपना फैसला बरकरार रखते हुए 42 बीघा भूमि और उस पर हुए सभी प्रकार के निर्माण को सरकार के अधीन करने का फैसला सुनाया।
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मामले की जांच जब एसआईटी को सौंपी गई थी तो उनकी छानबीन में कई ऐसे खुलासे हुए जिनसे उनके भी होश उड़ गए। मामले की जांच करते हुए पुलिस को पता चला कि एक मामूली से किसान व मिस्त्री का कार्य करने वाले छटयान गांव निवासी दाता राम के बैंक खाते में करोड़ों रुपए की ट्रांजेक्शन कैसे हुई है। पुलिस की जांच की सुई इस ओर घूम गई कि एक मामूली किसान व मिस्त्री दाता राम के खाते में करोड़ों रुपए कहां से आ गए। इस पर जांच की गई तो पता चला कि बाहरी राज्यों के लोगों द्वारा उसके खाते में करोड़ों रुपए ट्रांसफर किए गए और फिर उसके ही नाम पर जमीन खरीदी ।