कांगड़ा: चुनावी रण में दोनों योद्धा नए…मतदाता मौन
कांगड़ा: चुनावी रण में दोनों योद्धा नए, उलझे जातीय समीकरण…मतदाता मौन
हिमाचल की कांगड़ा-चंबा लोकसभा सीट जीवन के विविध रंगों और भौगोलिक उतार-चढ़ाव को सियासत के एक सूत्र में पिरोकर इन दो जिलों के 17 विधानसभा हलकों की संसद में नुमाइंदगी करती है।
कहीं सीधी-सपाट जमीन तो कहीं पहाड़। आबोहवा, बोली, वेशभूषा और रीति-रिवाजों के रंग भी कुछ-कुछ जुदा। हिमाचल की कांगड़ा-चंबा लोकसभा सीट जीवन के विविध रंगों और भौगोलिक उतार-चढ़ाव को सियासत के एक सूत्र में पिरोकर इन दो जिलों के 17 विधानसभा हलकों की संसद में नुमाइंदगी करती है। इस बार इस लोकसभा सीट पर भाजपा-कांग्रेस सीधे मुकाबले में है। चुनावी जंग की दृष्टि से दोनों ने ही ब्राह्मण चेहरों पर दांव खेला है। भाजपा के डॉ. राजीव भारद्वाज संगठनात्मक राजनीति में सक्रिय रहे हैं तो कांग्रेस के आनंद शर्मा का केंद्र की राजनीति में बड़ा कद है। दोनों का पहला लोकसभा चुनाव है। डॉ. भारद्वाज के साथ मोदी नाम के अलावा सांगठनिक ताकत का बड़ा सहारा है तो आनंद शर्मा को कांग्रेस के सिटिंग एमएलए की परफॉरमेंस पर भरोसा।
आनंद शर्मा, कांग्रेस
ताकत : राष्ट्रीय राजनीति का बड़ा चेहरा, प्रखर वक्ता, विधायकों का संख्या बल
कमजोरी : संसदीय क्षेत्र का निवासी न होना, कांगड़ा-चंबा में पहला चुनाव, जनता से रही दूरी, कमजोर संगठन
चुनौतियां : जनता में विश्वास जगाकर भाजपा के जीत के रथ को थामना, विधायकों की ताकत लाभ उठाना
अवसर : केंद्रीय राजनीति में पकड़, हिमाचल की सियासत में सक्रिय होने और गांधी परिवार के फिर करीब आने का मौका
राजीव भारद्वाज, भाजपा
ताकत : मृदुभाषी-सुलभ पहुंच, स्थानीय निवासी, संगठन का अनुभव, मजबूत संगठन
कमजोरी : पहला चुनाव, जनता के बीच नया चेहरा, कम सक्रियता
चुनौतियां : मतदाताओं का भरोसा जीतना, गद्दी-ओबीसी वोट बैंक को साधना
अवसर : खुद को स्थापित कर सियासी कद और संपर्क बढ़ाने का मौका