क्रिप्टो करेंसी मामला: आरोपित सुनील और अनिल ने सैंकड़ों पुलिस जवानों को फंसाया, एक गिरफ्तार; दूसरा अभी भी फरार
क्रिप्टो करेंसी मामले में आरोपित सुनील और अनिल ने सैकड़ों पुलिस जवानों को झोंक दिया। दोनों की पुलिस विभाग में 10 से 11 साल की नौकरी बची हुई थी। खुद की जेब में करोड़ों रुपये आने के बाद दोनों ने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था। दोनों ने पहले हमीरपुर जिले में अपने परिचित पुलिस जवानों को मल्टी लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) नेटवर्क से जोड़ा था।
चतुर्थ आरक्षित वाहिनी जंगलबेरी से 2021 में मुख्य आरक्षित के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने वाले हमीरपुर के सुनील कुमार व अनिल कुमार ने सैकड़ों पुलिस जवानों को क्रिप्टो करेंसी के खेल में झोंका था। दोनों की पुलिस विभाग में 10 से 11 साल की नौकरी बची हुई थी। खुद की जेब में करोड़ों रुपये आने के बाद दोनों ने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था।
जाब के मोहाली का रुख किया
दोनों ने पहले हमीरपुर जिले में अपने परिचित पुलिस जवानों को मल्टी लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) नेटवर्क से जोड़ा था। इसके बाद मंडी जिले व पंजाब के मोहाली का रुख किया था। मंडी में सबसे पहले थर्ड बटालियन पंडोह में कार्यरत सुंदरनगर के एक जवान और बीएसएल कालोनी थाना में तैनात परिचित एक महिला कर्मी से संपर्क किया था। दोनों को अपने विश्वास में लेने के बाद उन्हें खुद और दूसरों से निवेश करने के लिए उकसाया था।
महिला पुलिस कर्मी ने अपने पति व पंडोह बटालियन के जवान ने अपनी वनरक्षक पत्नी के साथ मिलकर नेटवर्किंग के इस खेल को आगे बढ़ाया था। देखते ही देखते इन लोगों ने अपने साथ सैकड़ों जवानों व अन्य लोगों को जोड़ उनसे करोड़ों रुपये का निवेश करवाया था। 198 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में सुनील कुमार पंजाब के मोहाली पुलिस के शिकंजे में हैं। अनिल कुमार भूमिगत है। एसआइटी उसकी सरगर्मी से तलाश कर रही है।
पंचकुला की राधिका शर्मा संभालती थी जीरकपुर में किंगपिग सुभाष शर्मा के कार्यालय का काम
न्यायिक हिरासत में चल रही पंचकुला की राधिका शर्मा किंगपिग सुभाष शर्मा के जीरकपुर स्थित कार्यालय का पूरा दायित्व संभालती थी। फील्ड से निवेशक की जो आइडी बनती थी। राधिका शर्मा उसको स्वीकृत करने का काम करती थी।
मेरठ के मिलन गर्ग का नहीं लग पाया कोई सुराग
क्रिप्टो करेंसी का फर्जी कारोबार शुरु करने के लिए किंगपिन सुभाष शर्मा को पांच साफ्टवेयर उपलब्ध करवाने वाले उत्तर प्रदेश के मेरठ के मिलन गर्ग का एसआइटी अभी कोई सुराग नहीं लगा पाई है। मिलन गर्ग कई बार दुबई गया था। वहीं पर क्रिप्टो करेंसी का सारा खेल समझने के बाद साफ्टवेयर बनाए थे।
एसआइटी के कई अधिकारी भी संलिप्त
क्रिप्टो करेंसी मामले की आंच अब एसआइटी के कई अधिकारियों तक पहुंच गई है। एसआइटी से जुड़े कई अधिकारी क्रिप्टो करेंसी के खेल में संलिप्त रहे हैं। मंडी जिले कई थानों व उपमंडलों में तैनात या तैनात रह चुके अधिकारियों पर भी अंगुलियां उठाना शुरु हो गई है।
सीआइडी जुटा रही पुलिस जवानों व अधिकारियों की जानकारी
क्रिप्टो करेंसी में खुद और दूसरों से निवेश करवाने वाले पुलिस जवानों व अधिकारियों की तेजी से पहचान की जा रही है। पुलिस मुख्यालय से सीआइडी को यह जिम्मा सौंपा गया है।