धर्मशाला में एक साल का लेखा-जोखा जनता के सामने रखेगी प्रदेश सरकार
लोगों की उम्मीदों पर कितना खरा उतरी ‘सुख’ की सरकार, एक साल का लेखा-जोखा सामने रखेगी सरकार
हिमाचल प्रदेश में सत्तासीन कांग्रेस सरकार अपने कार्यकाल का एक साल पूरा करने जा रही है। धर्मशाला में होने वाले कार्यक्रम में सरकार अपने एक साल की उपलब्धियों का लेखा-जोखा जनता के समक्ष रखेगी। इसमें कोई शक नहीं कि सरकार के पहले साल का आग़ाज बड़े ही चुनौतीपूर्ण ढंग से हुआ है, लेकिन मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू तमाम चुनौतियों के बावजूद एक ऐसा किरदार बनकर उभरे हैं जिनकी हर तरफ सराहना हुई है। प्रदेश की जनता से लेकर नीति आयोग, वल्र्ड बैंक यहां तक कि विपक्ष के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार भी मुख्यमंत्री के फैसलों की तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाए।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के थोड़े ही समय बाद भर्तियों के पेपर लीक घोटाले का पर्दाफाश, बिना बजट शुरू किए कार्यालयों और संस्थाओं को विरोध के बावजूद डिनोटिफाई करने का साहस, नशे की रोकथाम के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन, बरसात में आपदा के समय केंद्र सरकार की मदद के बिना कुशल प्रबंधन करके 4500 करोड़ का आपदा पैकेज देकर उन्होंने अपनी जनहित के प्रति संवेदनशीलता को उजागर किया। अब यह भी दिलचस्प होगा कि छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस को मिली हार के बाद मुख्यमंत्री किस तरह से कांग्रेस से जुड़े लोगों का मनोबल एवं उनके विश्वास को कायम रख पाते हैं।
इतना मुश्किल भी नहीं पांच साल वाली रिवायत बदलना
हिमाचल में अभी तक राहत की बात यह है कि यहां कोई तीसरा मोर्चा नहीं है। अब मुख्यमंत्री को तय करना होगा कि वह वैकल्पिक राजनीति को अपनाएंगे या फिर सारे राजनीतिक विकल्पों को धराशायी करके कांग्रेस को पुन: जनता के बीच स्थापित करेंगे। सीएम सक्षम हैं। अगर वह सारी बातों को ध्यान में रखकर चलेंगे, तो वह दिन दूर नहीं जब वहे 2027 में उस रिवायत को भी बदलेंगे, जो हर पांच साल बाद ताज बदल जाती है।
एक साल में जनता तक कितनी योजनाए पहुंच पाईं
यह बात ठीक है कि मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी का चेहरा होंगे, लेकिन एक साल में यह कितना हुआ है कि उनकी सोच, उनके जनहित के फैसलों को कांग्रेस का संगठन या कार्यकर्ता जनता तक पहुंचा पाए हैं। क्या एक साल के इन जनहित के फैसलों के लिए कांग्रेस संगठन की ओर से कहीं कार्यक्रम हुए। ब्लॉक स्तर पर सरकार की नीतियों का प्रचार-प्रसार हुआ? यही नहीं, जिन लोगों को सरकार में जिम्मेदारियां दी गई हैं और जो फेवरेट होने की वजह से उच्च पदों पर विराजमान हैं, वो इस जिम्मेदारी को समझ रहे हैं? क्या वे अपनी कार्यशैली से सीएम और कांग्रेस को मजबूत करने के लिए प्रयासरत हैं।
कांग्रेस के सामने विश्व का सबसे बड़ा संगठन
2025 में पंचायती राज चुनाव हैं और उससे पहले 2024 में लोकसभा के चुनाव हैं। कांग्रेस सरकार या संगठन की ओर से कोई ऐसे कार्यक्रम प्रस्तावित हैं कि आने वाले समय होने वाले चुनावों में उस संगठन से निपटना है, जो आज विश्व का सबसे बड़ा संगठन बन चुका है। अब सीएम और उनकी कोर टीम को यह सुनिश्चित करना होगा कि कांग्रेस को हिमाचल में जमीनी स्तर पर कैसे मजबूत किया जाए। इस लक्ष्य को अमलीजामा पहनाने के लिए केवल फेवरेट को आगे करके काम नहीं चलेगा, बल्कि जमीनी स्तर पर जो लोग पैठ रखते हैं, बेदाग छवि वाले हैं, उनको शाबाशी देनी होगी। मुख्यमंत्री को यह शुरुआत अपने जिले से करनी होगी। क्योंकि हमीरपुर वो संसदीय क्षेत्र है जहां से भाजपा के राष्ट्रीय, चार बार के लगातार सांसद व केंद्रीय मंत्री, राज्यसभा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री ताल्लुक रखते हैं।