न आपातकाल द्वार और न ही उतरने के लिए सीढ़ीयां, बद्दी की परफ्यूम फैक्ट्री में लोगों की जिंदगियों से हुआ खिलवाड़, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
Baddi Factory Fire News बद्दी की कॉस्मेटिक-परफ्यूम बनाने वाली अरोमा फैक्ट्री में लगी भीषण आग भले ही बुझा ली है लेकिन सवालों की लपटें लंबे समय तक उठती रहेंगी। करोड़ों रुपये के उद्योग में सुरक्षा मानकों को पूरी तरह दरकिनार रखा है। परफ्यूम बनाने वाले इस उद्योग में आपातकालीन द्वार न होने के साथ किसी भी मंजिल से नीचे आने के लिए सीढ़ियां न होना प्रमुख दोष सामने आया है।
HIGHLIGHTS
- बद्दी की परफ्यूम फैक्ट्री में लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़
- करोड़ा का उद्योग पर सुरक्षा जीरो
- न आपातकाल द्वार और न ही उतरने के लिए सीढ़ीयांl Baddi Factory Fire: बद्दी में स्थित कॉस्मेटिक-परफ्यूम बनाने वाली अरोमा फैक्ट्री (Baddi Aroma Factory Fire) में शुक्रवार को भीषण आग लग गई। आग भले ही बुझा ली है, लेकिन सवालों की लपटें लंबे समय तक उठती रहेंगी। अग्निकांड से उद्योग प्रबंधन के साथ स्थानीय प्रशासन व संबंधित विभागों पर भी सवाल उठने लगे हैं।
फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों पूरी तरह किया गया दरकिनार
प्रारंभिक जांच में आया है कि करोड़ों रुपये के उद्योग में सुरक्षा मानकों को पूरी तरह दरकिनार रखा है। न तो अग्निशमन यंत्रों की पर्याप्त व्यवस्था थी और न ही जल भंडारण की क्षमता अधिक थी। इस उद्योग में इतना अत्यधिक ज्वलनशील रसायन स्टोर था, लेकिन सुरक्षा के प्रबंध नाममात्र थे।
किसी भी मंजिल से नीचे आने के लिए सीढ़िया भी नहींं
परफ्यूम बनाने वाले इस उद्योग में आपातकालीन द्वार न होने के साथ किसी भी मंजिल से नीचे आने के लिए सीढ़ियां न होना प्रमुख दोष सामने आया है। शुक्रवार रात को अवलोकन के दौरान यह सामने आया कि उद्योग ने टीसीपी नियमों की पूरी तरह अवहेलना की थी।
आपातकाल द्वार न होने के कारण कर्मचारी अंदर फंसे
नक्शा पास होने के बाद चारों तरफ जगह छोड़नी होती है, लेकिन ऐसा नहीं किया था। उद्योग के सामने टीन शेड डाल कर उसको भंडारण स्थल बना दिया गया, वहीं सेट बैक (आरक्षित क्षेत्र) भी कामकाज के लिए कवर कर दिया था। आपातकाल द्वार न होने के कारण कर्मचारी अंदर फंस गए थे। छत पर भी शेड डालकर उसको गोदाम बना दिया था।
चारों तरफ से उद्योग में खुली जगह
उद्योग के प्रवेशद्वार के आगे सड़क है तो किनारे में गली है। पीछे 30 फीट चौड़ा नाला है तो दायें ओर सड़क है। चारों तरफ खुली जगह होने के बाद भी आपातकाल के लिए सीढ़ियां नहीं थी।