पराली जलाने के मामलों में सख्ती का भी नहीं दिखा रहा असर
पराली जलाने के मामलों में सख्ती का भी नहीं दिखा रहा असर, UP समेत कई राज्यों में मामले बढ़े; साल-दर-साल के आंकड़ें
Stubble Burning Data Satate Wise 25 नवंबर तक प्रदेश में फसल अवशेष जलाने के कुल 3637 मामले सामने आएं है जबकि गत वर्ष समान अवधि में यह आंकड़ा महज 2536 ही था। राष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान व मध्य प्रदेश ही ऐसे राज्य रहे हैं जहां पिछले वर्ष के मुकाबले फसल अवशेष जलाए जाने की घटनाएं बढ़ीं हैं।
लखनऊ । पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा जागरूकता के साथ-साथ उठाए गए सख्त कदमों का कोई खास असर देखने को नहीं मिला है। इस वर्ष प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं बीते वर्ष के सापेक्ष बढ़ी हैं।
25 नवंबर तक प्रदेश में फसल अवशेष जलाने के कुल 3,637 मामले सामने आएं है जबकि गत वर्ष समान अवधि में यह आंकड़ा महज 2,536 ही था। राष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान व मध्य प्रदेश ही ऐसे राज्य रहे हैं जहां पिछले वर्ष के मुकाबले फसल अवशेष जलाए जाने की घटनाएं बढ़ीं हैं। वहीं, पंजाब व हरियाणा में पिछले वर्ष से कम घटनाएं देखने को मिली हैं।
हालांकि आंकड़ों के लिहाज से देखें तो इस वर्ष भी पंजाब में सबसे अधिक पराली जलाने की घटनाएं हुईं हैं। प्रदेश में जिन जिलों में सबसे अधिक मामले (25 नवंबर तक) सामने आएं हैं, उनमें झांसी (170), महाराजगंज (159), पीलीभीत (109), इटावा (129), शाहजहांपुर (123), सिद्धार्थनगर (156), कानपुर देहात (141), गोरखपुर (136) व हरदोई (101) शामिल हैं।
वहीं, आगरा, अमरोहा, चंदौली, फर्रुखाबाद, हाथरस, कन्नौज, कासगंज, ललितपुर, मीरजापुर, संतरविदास नगर, वाराणसी में 10 से कम घटनाएं हुईं हैं। हमीरपुर, महोबा व सोनभद्र ऐसे जिले रहे हैं जहां एक भी घटना नहीं हुईं। 23 नवंबर को एक ही दिन में पूरे प्रदेश में पराली जलाने के सर्वाधिक 307 मामले सामने आए। बीते 15 दिनों में औसतन 100 से अधिक घटनाएं प्रतिदिन हुईं हैं।
पराली जलाने की घटनाएं (15 सितंबर से 25 नवंबर तक)
राज्य | 2020 | 2021 | 2022 | 2023 |
उत्तर प्रदेश | 3,923 | 3,543 | 2,536 | 3,637 |
राजस्थान | 1,666 | 1,278 | 1,262 | 1,769 |
पंजाब | 82,702 | 71,286 | 49,854 | 36,551 |
हरियाणा | 4037 | 6870 | 3609 | 2282 |
मध्य प्रदेश | 13,899 | 7,154 | 11,148 | 12,480 |
दिल्ली | 09 | 04 | 10 | 05 |
बता दें कि यूपी में वर्ष 2020 में 3,923 मामले सामने आए थे, जो कि अगले वर्ष घटकर 3,543 और वर्ष 2022 में महज 2,536 तक सिमट गए लेकिन इस वर्ष एक बार फिर फसल अवशेष जलाए जाने की घटनाओं का ग्राफ अचानक तेजी से बढ़ा है।