पीएम मोदी से जुड़ी 20 रोचक बातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में हुआ था। पिता दामोदर दास मूलचंद मोदी और मां का नाम हीराबेन है। प्रधानमंत्री मोदी पांच भाई-बहन हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जीवन काफी रोचक रहा है। आज हम उनसे जुड़ी 20 खास बातें बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं
नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जिनका जन्म आजादी के बाद हुआ था। 2001 में वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने। 2014 में प्रधानमंत्री बने। 2019 में जब भाजपा फिर जीतकर आई और वे लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।
2. पीएम मोदी के बचपन का नाम
3. सेना में जाना चाहते थे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बचपन में अभिनय का भी शौक रहा है। 2013 में मोदी पर लिखी गई किताब ‘द मैन ऑफ द मोमेंट : नरेंद्र मोदी’ के मुताबिक जब वह 13-14 साल के थे, तब उन्होंने स्कूल के लिए फंड जुटाने के लिए स्कूल के बाकी बच्चों के साथ एक नाटक में हिस्सा लिया था। ये नाटक गुजराती में था। इसका नाम पीलू फूल था, जिसे हिंदी में पीले फूल कह सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार बचपन का एक किस्सा साझा किया था। इसके मुताबिक, वह कई बार बचपन में बिना बुलाए लोगों की शादियों में चलते जाते थे और दो लोगों के बीच के कपड़ों में पिन लगा देते थे। ये देख वहां खड़े लोग हंसने लगते थे।
6. संन्यासी बनने के लिए घर से भागे थे
नरेंद्र मोदी बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस से जुड़ गए थे। मोदी संघ के कार्यक्रमों में प्रबंधन की जिम्मेदारी निभाते थे। आरएसएस नेताओं के ट्रेन और बस में रिजर्वेशन का जिम्मा उन्हीं के पास था। 1978 में वह संघ के पूर्ण प्रचारक बन गए थे।
नरेंद्र मोदी को पतंगबाजी करना काफी पसंद है। गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए वह पतंगबाजी का बड़ा महोत्सव कराते थे।
प्रधानमंत्री मोदी समय के बहुत पाबंद हैं। तय समय पर ही वह सारे काम करने की कोशिश करते हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वह शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए नियमित योग करते हैं। इसके अलावा ध्यान भी नियमित करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें ज्यादा फिल्मों का शौक नहीं है। हालांकि वह लता मंगेशकर के गीतों को पसंद करते हैं। उनका गाया गाना, ‘हो पवन वेग से उड़ने वाले घोड़े…’ मोदी को काफी अच्छा लगता है।
1975 में जब आपातकाल की घोषणा हुई तो मोदी युवा अवस्था में थे। उस दौरान संघ के स्वयंसेवी के तौर पर उन्होंने इसका विरोध किया। इस दौरान पुलिस से बचने के लिए उन्होंने सरदार का रूप धारण कर लिया था। इसके जरिए ढाई साल तक वह पुलिस को छकाते रहे।
संघ में प्रचारक के तौर पर नरेंद्र मोदी अपना काम खुद से ही करते थे। वह खुद से अपने लिए खाना बनाते थे। अहमदाबाद संघ कार्यालय में रहने के दौरान वह खुद और दूसरों के लिए रोज चाय बनाते थे। साफ-सफाई भी करते थे। इसके अलावा बुजुर्ग स्वयंसेवियों के कपड़े भी मोदी ही साफ करते थे।
पीएम मोदी ने युवा अवस्था के दौरान नशे के खिलाफ अभियान भी चलाया था। कहा जाता है कि आज तक उन्होंने सिगरेट, शराब को हाथ तक नहीं लगाया। मोदी पूरी तरह से शाकाहारी हैं।
नरेन्द्र मोदी जब संघ में थे, तभी से कुर्ते की बांह को छोटी करवा लेते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे कुर्ता ज्यादा गंदा नहीं होता था और आरामदायक भी रहता था। आज वही कुर्ता मोदी ब्रांड बन गया है।
2001 की बात है। गुजरात में तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की सेहत खराब होने लगी थी। तब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय संगठन मंत्री थे। तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। अचानक अटल जी ने मोदी को फोन किया। उस वक्त मोदी एक सीनियर कैमरामैन गोपाल बिष्ट के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए श्मशान घाट पर थे।
अटल जी ने पूछा- ‘भई कहां हो? इस पर मोदी ने जवाब दिया कि ‘मैं तो श्मशान घाट पर हूं।’ फिर अटलजी ने कहा, ‘तुम श्मशान में हो तो मैं तुमसे अभी क्या बात करूं। शाम को चाय पर आओ, फिर बात करते हैं।’ जब मोदी ने अटल जी से मुलाकात की तो उन्होंने मजाक में मोदी से कहा, ‘दिल्ली ने तुम्हें बहुत मोटा कर दिया है। तुम्हें गुजरात वापस जाना चाहिए।’ इसके बाद ही मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया गया।
बताया जाता है कि तब आडवाणी मोदी के अनुभव को लेकर चिंतित थे। इसलिए उन्होंने पहले मोदी को उप-मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा। इस पर मोदी ने आपत्ति जताई और एक सिरे से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर कमान देनी है तो पूरी तरह से दी जाए, नहीं तो किसी और को दे दें। हालांकि, बाद में सभी लोग मोदी की बात मान गए।
16. बॉलीवुड की इस फिल्म से मिली प्रेरणा
एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘एक बार मैं अपने मित्रों और अध्यापकों के साथ मशहूर हिंदी फिल्म गाइड देखने गया, जो आरके नारायण के एक उपन्यास पर आधारित थी। फिल्म के बाद मैं दोस्तों के साथ एक गहरी बहस में पड़ गया। मेरा तर्क था कि फिल्म का मूल विषय यह था कि अंत में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी अंतरात्मा से मार्गदर्शन मिलता है। लेकिन मैं उम्र में छोटा था, मेरे दोस्तों ने मुझे गंभीरता से नहीं लिया।’
गाइड फिल्म ने उनके ऊपर एक और छाप छोड़ी। वह थी सूखे की सच्चाई और पानी की कमी से किसानों में दिखने वाली निरीहता। बाद में जब उन्हें मौका मिला, तो उन्होंने गुजरात में अपने कार्यकाल का एक बड़ा भाग जल संचय प्रणाली को एक संस्थागत रूप देने में लगाया। यह एक ऐसी परियोजना है जिसे वे प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्र स्तर पर भी लेकर आए।
बात 30 अगस्त 2016 की है। प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के जामनगर में सौनी योजना की शुरूआत करने पहुंचे थे। ये एक सिंचाई परियोजना है, जिससे सौराष्ट्र में पानी की किल्लत दूर हुई। मोदी को बांध से पानी का प्रवाह शुरू करने के लिए एक बटन दबाना था। इसी बीच उनकी नजर बांध की दूसरी तरफ गई। यहां दूरदर्शन के कुछ पत्रकार और कैमरामैन कार्यक्रम को कवर कर रहे थे। मोदी ने ये देखते ही चिल्लाते हुए हटने को कहा। जैसे ही कैमरामैन वहां से हटे, वहां तेज बहाव का पानी आ गया।
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