मेरे शब्द लिखकर रख लीजिए…’: प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से दो बार क्यों कही यह बात?
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘इस कालखंड में हम जो करेंगे, जो कदम उठाएंगे, त्याग करेंगे, तपस्या करेंगे, आने वाले एक हजार साल का देश का स्वर्णिम इतिहास उससे अंकुरित होने वाला है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से दिए भाषण में देशवासियों को एकजुट होकर देश के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री आत्मविश्वास से सराबोर दिखाई दिए और कहा कि 2047 तक देश को विकसित बनाना है। इस दौरान पीएम मोदी ने अपने भाषण में दो बार मेरे शब्द लिखकर रख लीजिए…का इस्तेमाल किया। आइए जानते हैं कि पीएम मोदी ने क्या कहा…
1. हजार साल का कालखंड…
‘बलिदान-तपस्या का व्यापक रूप आखिरकार 1947 में सफल हुआ, हजार साल की गुलामी में संजोए हुए सपने पूरे हुए। मैं हजार साल की बात इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मैं देख रहा हूं कि फिर देश के सामने एक मौका आया है। हम ऐसे कालखंड में जी रहे हैं, हमारा सौभाग्य है कि भारत के अमृतकाल का यह पहला वर्ष है। या तो हम जवानी में जी रहे हैं या मां भारत की गोद में जन्म ले चुके हैं। मेरे शब्द लिखकर रख लीजिए, इस कालखंड में हम जो करेंगे, जो कदम उठाएंगे, त्याग करेंगे, तपस्या करेंगे, आने वाले एक हजार साल का देश का स्वर्णिम इतिहास उससे अंकुरित होने वाला है। इस कालखंड में होने वाली घटनाएं आगामी एक हजार साल के लिए प्रभाव पैदा करेंगी। देश पंच प्रण को समर्पित होकर एक नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है।
‘बलिदान-तपस्या का व्यापक रूप आखिरकार 1947 में सफल हुआ, हजार साल की गुलामी में संजोए हुए सपने पूरे हुए। मैं हजार साल की बात इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मैं देख रहा हूं कि फिर देश के सामने एक मौका आया है। हम ऐसे कालखंड में जी रहे हैं, हमारा सौभाग्य है कि भारत के अमृतकाल का यह पहला वर्ष है। या तो हम जवानी में जी रहे हैं या मां भारत की गोद में जन्म ले चुके हैं। मेरे शब्द लिखकर रख लीजिए, इस कालखंड में हम जो करेंगे, जो कदम उठाएंगे, त्याग करेंगे, तपस्या करेंगे, आने वाले एक हजार साल का देश का स्वर्णिम इतिहास उससे अंकुरित होने वाला है। इस कालखंड में होने वाली घटनाएं आगामी एक हजार साल के लिए प्रभाव पैदा करेंगी। देश पंच प्रण को समर्पित होकर एक नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है।