बजट आते ही सेंसेक्स की तरह छलांगे मारती प्रति व्यक्ति आय, गरीब के हाथ में आज भी चंद हजार रुपये मासिक आते; पढ़ें स्पेशल रिपोर्ट
बजट (Himachal Budget 2024) से पहले पेश होने वाले आर्थिक सर्वेक्षण में प्रदेश के लोगों की प्रति व्यक्ति आय सेंसेक्स की तरह उछाल मारती हुई आगे बढ़ेगी। वहीं दूसरी ओर गरीब की आय भी तुलनात्मक दृष्टि से इतनी नहीं बढ़ी होती है कि प्रति व्यक्ति आय के समान हो। प्रति व्यक्ति आय को प्रदेश में आयकर दाताओं के अनुमानित तीन लाख आंकड़ों के साथ जोड़कर देखें तो बहुत कम है।
HIGHLIGHTS
- प्रति व्यक्ति आय छलांगे मार रही, गरीब के हाथ में आज भी चंद हजार रुपये मासिक आते
- आयकर दाताओं के अनुमानित तीन लाख आंकड़ों के हिसाब से कम है प्रति व्यक्ति आय
- हिमाचल में 3 लाख से अधिक करदाता Himachal News Today: हर साल की तरह ये भी रिवायत बन चुकी है कि बजट (Himachal Budget 2024) से पहले पेश होने वाले आर्थिक सर्वेक्षण में प्रदेश के लोगों की प्रति व्यक्ति आय सेंसेक्स की तरह उछाल मारती हुई आगे बढ़ेगी। वर्तमान में प्रति व्यक्ति आय 2.22 लाख रुपये प्रति व्यक्ति है।
इसलिए कम है प्रति व्यक्ति आय
प्रति व्यक्ति आय को प्रदेश में आयकर दाताओं के अनुमानित तीन लाख आंकड़ों के साथ जोड़कर देखें तो बहुत कम है। क्योंकि प्रदेश की जनसंख्या 78 लाख से अधिक हो चुकी है। आलोचक ऐसा मानते हैं कि प्रति व्यक्ति आय निकालने के संबंध अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को सही नहीं मानते हैं। इसके पीछे तर्क ये दिया जाता है कि करोड़पतियों की आय तो जितनी बढ़ती है, उस अनुपात में तो इसे दिखाया नहीं जाता है।
तुलनात्मक दृष्टि से इतनी नहीं बढ़ी होती गरीब व्यक्ति की आय
गरीब की आय भी तुलनात्मक दृष्टि से इतनी नहीं बढ़ी होती है कि प्रति व्यक्ति आय के समान हो। इससे इतर राज्य का अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग राज्य सकल घरेलू उत्पाद और राज्य की कुल जनसंख्या के साथ इसको विभाजित करके दिखाता है।
हिमाचल में 3 लाख से अधिक करदाता
विभाग का मत है कि समाज का हर व्यक्ति कुछ न कुछ कर रहा है और उत्पादक प्रक्रिया में हिस्सेदारी दे रहा है। इसलिए उसके अंशदान को भी प्रति व्यक्ति आय में शामिल किया जाता है। राज्य में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या का तो आंकड़ा उपलब्ध है मगर प्रदेश की उत्पादकता में सर्वाधिक गतिशील रहने वाले लोगों का कोई अता-पता नहीं है। वर्ष 2014 से पहले में 90 हजार से कम करदाता थे और आज 2024 में करदाताओं की संख्या 3 लाख से अधिक है।
वर्ष प्रति व्यक्ति आय
- 2011-12- 87721 रुपये
- 2012-13- 99730 रुपये
- 2013-14- 114095 रुपये
- 2014-15- 123299 रुपये
- 2015-16 135512 रुपये
- 2016-17- 150290 रुपये
- 2017-18- 165497 रुपये
- 2018-19- 174804 रुपये
- 2019-20- 186559 रुपये
- 2020-21- 177924 रुपये
- 2021-22- 201271 रुपये
- 2022-23- 222227 रुपये
घर-घर जाकर होना चाहिए सर्वे
प्रति व्यक्ति आय का सटीक निर्धारण करने के लिए सर्वेक्षण होना चाहिए। इस तरह का सर्वे कभी नहीं हुआ है। इसके लिए घर-घर जाकर सर्वे होगा तो प्रति व्यक्ति आय जांचने का दायरा बढ़ेगा। ये भी पता चलेगा कि राज्य में ऐसे लोगों की कितनी संख्या है जोकि न्यूनतम स्तर पर मासिक कितना कमाते हैं।
करोड़पतियों व अरबपतियों के आंकड़े
प्रदेश में कितने लोग करोड़पति हैं और कितनी संख्या में लोग अरब, खरबपति है। इस संबंध में अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग ने कभी पता लगाने का प्रयास नहीं किया है। सरकार की ओर से ये तो पता लगाया गया है कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या कितनी है। लेकिन प्रदेश में आय के साधन बढ़ने से लोगों के पास कितना धन आया है। अधिक धनाढ्य लोगों की संख्या प्रेरणादायक होगी।
प्रति व्यक्ति आय निर्धारण के लिए घर-घर सर्वे जरुरी
प्रति व्यक्ति आय निकालने के स्थापित फॉर्मूले में प्रदेश की कुल जनसंख्या और राज्य सकल घरेलू उत्पाद को आधार लेकर प्रति व्यक्ति आय का निर्धारण होता है। प्रति व्यक्ति आय का सटीक निर्धारण करने के लिए घर-घर जाकर सर्वे हो तो अधिक उपयुक्त रहेगा।
सांख्यिकी विभाग के पूर्व निदेशक क्या बोले?
यदि आप देखेंगे तो, झारखंड, राजस्थान, बिहार के कामगारों की आय प्रदेश के अर्थ तंत्र में शामिल नहीं होती है, लेकिन उनके राज्यों में तो इसका निर्धारण होता है। इसी तरह से प्रदेश के लोग जो बाहर काम करते हैं, उनकी आय यहां पर आर्थिक तंत्र में गणना की सहायक होती हैं। – पंकज शर्मा, पूर्व संयुक्त निदेशक अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग।