मेधावी छात्र सम्मान: सीएम सुक्खू ने मेधावियों को 25-25 हजार देने का किया एलान
सुक्खू ने मेधावियों को 25-25 हजार देने का किया एलान
छात्र सम्मान समारोह-2024 मंगलवार को शिमला राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ में आयोजित किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने समारोह में प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के दसवीं और बारहवीं कक्षा के 222 टॉपरों को मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इनमें दसवीं कक्षा के 92 तथा बारहवीं के 90 टॉपर शामिल हैं, जबकि शिमला शहर के विभिन्न स्कूलों के 40 टॉपर विद्यार्थी भी समारोह में सम्मानित किए गए। मुख्यमंत्री ने समारोह में अपनी ऐच्छिक निधि से सभी मेधावी विद्यार्थियों को 25-25 हजार रुपये देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभावान विद्यार्थियों को बधाई देते हुए अमर उजाला के इस प्रयास की सराहना की|विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत के बल पर अपना लक्ष्य हासिल कर सकता है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी हिमाचल प्रदेश का भविष्य है और उन्हें राजनीति में आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह गैर राजनीतिक परिवार से आते हैं, लेकिन मन में हमेशा सिर्फ जनसेवा करने की इच्छा थी। कड़ी मेहनत और चुनौतियों का सामना कर आज वह मुख्यमंत्री के पद पर पहुंचे हैं और राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।सुक्खू ने कहा कि 19 महीने पहले जब कांग्रेस सरकार बनी तो उस समय प्रदेश की अर्थव्यवस्था बहुत खराब थी। वर्तमान सरकार ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए अनेक प्रभावी कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वर्ष 2027 तक आत्मनिर्भर और 2032 तक देश का सबसे समृद्ध राज्य बनने की दिशा में प्रयासरत है। वर्तमान राज्य सरकार के डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में से चार महीने चुनावी आदर्श आचार संहिता में बीते और चार महीने आपदा में लोगों की सहायता में बीत गए। इसके बावजूद एक साल में नीतियों में बदलाव लाकर 2200 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व राज्य सरकार ने अर्जित किया।
संपन्न लोगों की बिजली सब्सिडी खत्म की
मुख्यमंत्री ने कहा कि दृढ़ इच्छा शक्ति का परिचय देते हुए राज्य सरकार ने संपन्न लोगों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म कर दिया है, ताकि पात्र लोगों को बेहतर ढंग से लाभान्वित किया जा सके। उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावित परिवारों को राज्य सरकार फिर से बसाने का कार्य कर रही है। वर्तमान राज्य सरकार ने गुणात्मक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है और कम बच्चों वाले सरकारी स्कूलों को बंद करने का कड़ा फैसला लिया। सुक्खू ने कहा कि शिक्षा विभाग में 7,000 पद आर्थिक तंगी के बावजूद शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए मंजूर किए गए हैं। अभी इस ढांचे को मजबूत करने में दस साल और लगेंगे। दस वर्ष के बाद राज्य की शिक्षा व्यवस्था अच्छी हो जाएगी। सीएम ने कहा कि सरकार राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल बना रही है। इनमें गांव के बच्चे भी पढ़ेंगे। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाएगी। चाहे उच्च शिक्षा हो, चाहें प्रारंभिक शिक्षा हो। कहीं न कहीं कमी दिखाई दे रही है। इसमें सुधार के लिए हिमाचल के सभी वर्गों का सहयोग अपेक्षित है। प्रदेश में शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार होगा। सभी क्षेत्रों में सुधार किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि 2027 तक हिमाचल प्रदेश आत्मनिर्भर राज्य बने और 2032 तक भारत का सबसे समृद्ध व अमीर राज्य बने।
दृढ़ इच्छाशक्ति से कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत से कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं होता, हर लक्ष्य आसान हो जाता है। भविष्य के हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व यह युवा पीढ़ी ही करेगी। सीएम सुक्खू ने कहा कि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कोई भी चीज दूर नहीं हो सकती है। इच्छाशक्ति ही आगे बढ़ाती है। इसके साथ कर्म करना पड़ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा का मतलब टॉपर होना नहीं होता है। समाज में जो बुराई और अच्छाई है, उसके बारे में भी ज्ञान होना जरूरी है। शिक्षा ही वह चीज है, जो आत्मविश्वास देती है। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि आज भविष्य के हिमाचल की नींव रखनी है। सुक्खू ने कहा कि टॉपर आए बच्चे आने वाले समय में डॉक्टर, इंजीनियर और नेता बनेंगे।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में प्रदेश देश में 18वें स्थान पर पहुंचा
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई यह मत सोचें कि सरकारी स्कूल का बच्चा आईएएस नहीं बन सकता है। ये बच्चे भविष्य में हिमाचल निर्माता बनने वाले हैं। उन्होंने राज्य में शिक्षा के मौजूदा ढांचे पर चिंता जताते हुए कहा कि स्कूल तो खोले गए हैं, मगर शिक्षकों को उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा था। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के मामले में भी बच्चों के साथ अन्याय हो रहा है। पिछली सरकार ने इतने स्कूल खोल दिए जिनका कोई औचित्य नहीं था। उन्होंने कहा कि मैंने शिक्षा मंत्री के साथ रात तक मंत्रणा की और फैसला किया कि जो स्कूल खुले हैं और जहां बच्चों की संख्या कम है, उन्हें बंद किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने चिंता जताई कि आज हिमाचल में साक्षरता दर तो 83 प्रतिशत पर है, लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में प्रदेश देश में 18वें स्थान पर पहुंच चुका है। वह खुद सरकारी स्कूल से पढ़े हैं। उस समय बैठने के लिए टाट होती थी, बेंच तो बाद में आए, मगर इसके बावजूद गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाती थी।