वीरभद्र हों, धूमल या हों शांता, चुनावों में दिग्गजों को भी मिल चुकी है हार
पहाड़ की सियासत ने बड़े उलटफेर देखे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल और जयराम ठाकुर ऐसे बड़े नाम हैं, जिन्हें लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। इन दिग्गजों के अलावा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष चौधरी श्रवण कुमार, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह, स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनी राम शांडिल और कृषि मंत्री चंद्र कुमार दो या इससे ज्यादा बार लोकसभा का चुनाव हारे थे। राजनीतिक इतिहास में सबसे लंबी पारी खेलने वाले पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को 1977 में मंडी संसदीय क्षेत्र से 35 हजार 505 वोटों की बड़ी हार झेलनी पड़ी थी। उन्हें बीएलडी के नेता गंगा सिंह ने इस चुनाव में हराया था। गंगा सिंह को एक लाख 38 हजार 143 वोट मिले थे, तो वीरभद्र सिंह को एक लाख दो हजार 638 वोट पड़े थे। इससे पूर्व वीरभद्र सिंह महासू और मंडी सीट से तीन बार सांसद रह चुके थे। पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार को लोकसभा के चुनाव में दो बार हार का सामना करना पड़ा है।
1996 और 2004 में भाजपा के दिग्गज नेता को हार मिली थी। 1996 के लोकसभा चुनाव में शांता कुमार 37 हजार 524 वोटों से चुनाव हारे थे। उन्हें कांग्रेस के सत महाजन से यह हार मिली थी। इस चुनाव में सत महाजन को दो लाख 63 हजार 817 वोट, जबकि शांता कुमार को दो लाख 26 हजार 293 वोट मिले थे। पूर्व मुख्यमंत्री राजनीतिक पारी में दूसरा आम चुनाव 2004 में हारे। इस चुनाव में उनके सामने मौजूदा कृषि मंत्री चंद्र कुमार मैदान में थे। चंद्र कुमार ने शांता कुमार को 17 हजार 791 मतों के अंतर से हराया था। चंद्र कुमार ने इस चुनाव में तीन लाख 14 हजार 555 वोट हासिल किए थे, जबकि शांता कुमार को दो लाख 96 हजार 764 वोट मिले थे। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी हार की गाज से बच नहीं पाए थे। उन्हें 1984 और 1996 में हार का सामना करना पड़ा था। 1984 में नारायण चंद ने प्रेम कुमार धूमल को एक लाख 24 हजार 933 मतों के अंतर से पराजित किया था। इस चुनाव में नारायण चंद पराशर को दो लाख 42 हजार 214 वोट मिले थे। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को दूसरी मर्तबा सेवानिवृत्त मेजर जनरल विक्रम सिंह ने 1996 में पराजित किया।
इस चुनाव में प्रेम कुुमार धूमल को 15 हजार 113 वोटों के अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा था। मेजर जनरल विक्रम सिंह को दो लाख 43 हजार 39 वोट मिले थे, जबकि प्रेम कुमार धूमल को दो लाख 27 हजार 926 वोट हासिल कर पाए थे। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी मंडी संसदीय क्षेत्र से उपचुनाव में एक हार झेल चुके हैं। 2013 में हुए उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने उन्हें हराया था। प्रतिभा को इस चुनाव में तीन लाख 53 हजार 492 वोट मिले थे, जबकि जयराम ठाकुर को दो लाख 16 हजार 765 वोट मिल पाए थे। दोनों के बीच जीत और हार का अंतर एक लाख 36 हजार 727 वोट का था।