सतपाल रायजादा को मैदान में उतार कांग्रेस ने क्षेत्रीय जातीय समीकरण साधे
लोकसभा चुनाव: सतपाल रायजादा को मैदान में उतार कांग्रेस ने क्षेत्रीय जातीय समीकरण साधे
ऊना सदर से पूर्व विधायक रायजादा को चुनावी मैदान में उतारकर कांग्रेस ने क्षेत्रीय के साथ ही जातीय समीकरण साधने का भी प्रयास किया है।
लंबे सियासी मंथन के बाद हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर संसदीय सीट से सतपाल रायजादा पर कांग्रेस हाईकमान रजामंद हो गया। ऊना सदर से पूर्व विधायक रायजादा को चुनावी मैदान में उतारकर कांग्रेस ने क्षेत्रीय के साथ ही जातीय समीकरण साधने का भी प्रयास किया है। इस सीट पर राजपूत नेताओं का ही दबदबा रहा है। राजपूत बाहुल क्षेत्र में महज दो दफा ही ओबीसी चेहरा चुनाव जीत पाया है। नारायण चंद पराशर इस सीट पर दो दफा कांग्रेस टिकट पर जीत हासिल करने में कामयाब हुए हैं।
वर्ष 1998 से भाजपा इस सीट पर अजय रही है जबकि 1996 में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को ऊना जिले से कांग्रेस प्रत्याशी जनरल विक्रम सिंह से हार का सामना करना पड़ा था। धूमल परिवार की इस सीट पर इकलौती हार थी। उसके बाद से भाजपा और धूमल परिवार सीट पर अजय रहा है। धूमल परिवार का सीट पर नौवां चुनाव है। पूर्व विधायक रायजादा प्रदेश की राजनीति में साल 2017 में भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती को हराकर चर्चा में आए थे। सीएम और उप मुख्यमंत्री इस क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में दोनों नेताओं पर अपने-अपने जिले से प्रत्याशी को मजबूती देने का दारोमदार रहेगा। पूर्व विधायक रायजादा ने कहा कि वह मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के साझा उम्मीदवार हैं। दोनों नेताओं के मार्गदर्शन में चुनाव लड़ेंगे। संवाद
2017 के विस चुनाव में सत्ती को हराया था
सतपाल रायजादा ने 10वीं तक पढ़ाई की है। रायजादा ने ऊना के सरकारी स्कूल से 1987 में दसवीं पास की। उनकी पत्नी का नाम अंजना देवी है। उनके दो बेटे हैं। पूर्व विधायक रायजादा इस समय कांग्रेस उपाध्यक्ष हैं और प्रदेश राफ्टिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। वह ऊना विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक विरोधी सतपाल सिंह सत्ती को वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 3196 वोटों से हराया था। 2012 में उन्होंने पहला चुनाव ऊना विस से लड़ा था। उस समय वह भाजपा के सत्ती से हार गए थे।