सरकारी सिस्टम के आगे विद्यार्थी लाचार: चंडीगढ़ के 108 सरकारी स्कूलों में अब तक नहीं पहुंचीं NCERT की किताबें
चंडीगढ़ के 108 सरकारी स्कूलों में अब तक नहीं पहुंचीं NCERT की किताबें
चंडीगढ़ के 108 सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले तीसरी, छठी और सातवीं कक्षा के सैकड़ों विद्यार्थी ‘सरकारी सिस्टम’ के आगे बेबस हैं। ये विद्यार्थी तीन महीने से एनसीईआरटी की किताबों का इंतजार कर रहे हैं। किताबें न होने से पढ़ाई नहीं हो पा रही। सितंबर में यूनिट टेस्ट होने हैं। विद्यार्थियों को चिंता सता रही है कि बिना किताबों के वह पढ़ाई कैसे करेंगे और परीक्षा क्या देंगे। किताबें कब मिलेंगी, इसे लेकर शिक्षा विभाग के पास भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। बस आश्वासन और उम्मीद है कि किताबें जल्द आ जाएंगी।राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने तीन अप्रैल को पत्र जारी कर कहा था कि छठी कक्षा की पाठ्य पुस्तकें मई माह के मध्य में उपलब्ध करवा दी जाएंगी। मई के बाद जून का पूरा महीना निकल गया लेकिन एनसीईआरटी की पुस्तकों का स्टॉक स्कूलों में नहीं पहुंचा। शिक्षा विभाग ने इस सप्ताह तक पुस्तकें आने और वितरित करने का दावा किया था लेकिन अब तक छठी के बच्चों को कोई किताब नहीं मिली है।
सेक्टर-56 के गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने वाली छठी कक्षा की छात्रा सानवी (बदला हुआ नाम) ने बताया कि बिना किताबों के पढ़ाई नहीं हो रही। दो महीने में यूनिट टेस्ट होने हैं, ऐसे में चिंता हो रही है। किताबें देर से आएंगी तो सिलेबस भी पूरा नहीं हो पाएगा। ऐसे में परीक्षा कैसे देंगे। सानवी ने बताया कि फिलहाल स्कूल में अलग-अलग गतिविधियां करवाई जा रहीं हैं लेकिन परीक्षा की तैयारी के लिए तो किताबें चाहिए।
दो महीने बाद पेपर, कैसे पूरा होगा सिलेबस
शहर के कई स्कूलों के शिक्षकों ने बताया कि किताबें नहीं होने की वजह से बच्चों का सिलेबस 75 प्रतिशत पीछे चल रहा है। सामाजिक अध्ययन की तीन पुस्तकों में से वह अब तक एक पुस्तक पूरी करवा देते थे लेकिन अब तक उनकी एक पुस्तक का सिलेबस भी पूरा नहीं हुआ है। शिक्षक ने बताया वह खुद के लिए तो किताबें अरेंज कर पा रहे हैं लेकिन बच्चों को बिना पाठ्य पुस्तकों के पढ़ने में परेशानी हो रही है। टीजीटी विज्ञान शिक्षक ने बताया बिना मूल पाठ के वह बच्चों को कक्षा में लेक्चर दे सकते हैं लेकिन बच्चा समझ ही नहीं पाएगा कि उसने क्या और कहां से पढ़ा रहे हैं। स्कूलों में स्मार्ट क्लास भी सीमित हैं और सभी को वहां नहीं पढ़ाया जा सकता।
पेरीफेरी के स्कूल अधिक प्रभावित
किताबें न मिलने से पेरीफेरी के स्कूल अधिक प्रभावित हैं, जहां बच्चों के पास पढ़ाई के अन्य स्रोतों की पहुंच नहीं है। पेरीफेरी के स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चों के माता-पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और ज्यादा पढ़े लिखे नहीं होते। ऐसे में उनके बच्चे स्कूल की पढ़ाई के भरोसे ही होते हैं लेकिन किताबें नहीं होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई अब भगवान भरोसे है। स्कूलों के शिक्षक इस बात से बेफिक्र हैं कि बच्चे फेल नहीं होंगे लेकिन सवाल बच्चों की मजबूत नींव का है, जो किताबों के अभाव में कमजोर हो रही है।
इसलिए अब तक स्कूल नहीं पहुंचीं किताबें
एनसीईआरटी ने इस बार तीसरी और छठी कक्षा का सिलेबस बदल दिया है। छठी कक्षा की नई पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध न होने तक एनसीईआरटी ने अप्रैल माह में दो महीने का ब्रिज कोर्स तैयार किया है। शहर के एक स्कूल के टीजीटी सामाजिक अध्ययन के शिक्षक ने बताया ब्रिज कोर्स दो महीने के लिए था लेकिन कक्षाएं शुरू हुए तीन महीने हो चुके हैं। टीजीटी गणित शिक्षक ने बताया कि उन्होंने विषय का सिलेबस ही शुरू नहीं किया है और वह बच्चों को बेसिक जोड़ना-घटाना और गुणा-भाग के प्रश्न करवा रहे हैं।
किस कक्षा की कौन सी किताब नहीं आई
कक्षा पुस्तक
छठी कक्षा बसंत, हनी सकल, गणित, विज्ञान, हमारा अतीत, पृथ्वी हमारा आवास, सामाजिक और राजनीतिक जीवन, रुचिरा-1 संस्कृत
तीसरी कक्षा लुकिंग अराउंड
सातवीं कक्षा सामाजिक और राजनीतिक जीवन
एनसीईआरटी की पुस्तकें जिस दिन प्रिंट होकर आएंगी, सबसे पहले चंडीगढ़ को दी जाएंगी। इस हफ्ते तक पाठ्य पुस्तकें आ जानी चाहिए। -हरसुहिंदर पाल सिंह बराड़, स्कूल शिक्षा निदेशक, चंडीगढ़