सियासत: मन का भेद नहीं देते पंजाबी, कई बार किया चौंकाने वाला उलटफेर
सियासत: मन का भेद नहीं देते पंजाबी, कई बार किया चौंकाने वाला उलटफेर, 2014 में करवाई थी आप की शानदार एंट्री
पंजाब लोकसभा चुनाव में सबसे कम मतदान का रिकॉर्ड वर्ष 1991 के नाम दर्ज है। उस चुनाव में सिर्फ 24 फीसदी ही मतदान हुआ था। तब आतंकवाद के कारण मतदान बहुत कम हुआ था।
चुनाव में मतदाताओं का मन टटोलना बहुत मुश्किल है। पंजाब के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के कई बार ऐसे नतीजे आए हैं, जिससे यह सही भी साबित हुआ है। पंजाब में अब तक हुए लोकसभा चुनाव में कई बार चौंकाने वाले नतीजे रहे हैं।
1989 लोकसभा चुनाव के नतीजों ने भी सबको चौंका दिया था। इस चुनाव में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड पुलिस अफसर से सियासत में आए शिअद (अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान के नाम है, जिन्होंने तरनतारन सीट पर 4, 80,417 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी।
मान केवल खुद ही रिकॉर्ड मतों से नहीं जीते थे, बल्कि उन्होंने अपनी पार्टी के पांच उम्मीदवारों को भी लोकसभा में पहुंचा दिया था। इस चुनाव में शिअद (अमृतसर) से तरनतारन सीट पर मान के अलावा बठिंडा से सुच्चा सिंह, फरीदकोट से जगदेव सिंह, लुधियाना से राजिंद्र कौर बुलारा, रोपड़ से बिमल कौर और संगरूर से राजदेव सिंह ने जीत दर्ज की थी। मान की पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जीत का अंतर एक लाख से अधिक वोटों का था।