स्कूलों के पानी की गुणवत्ता में दूसरे स्थान पर हिमाचल, बिहार-झारखंड की हालत सबसे खराब
स्कूलों के पानी की गुणवत्ता में दूसरे स्थान पर हिमाचल
आजादी के बाद से ही नागरिकों को स्वच्छ जल पहुंचाना शायद सरकारों की प्राथमिकताओं में नहीं रहा। यही कारण है कि 2019 के बाद से जल जीवन मिशन के तहत हर घर के साथ ही स्कूलों तक नल से स्चच्छ जल पहुंचाने का अभियान शुरू किया गया। इसके बावजूद स्थिति यह है कि देशभर के ग्रामीण क्षेत्र के लगभग 50 प्रतिशत स्कूलों में अब तक नल से स्वच्छ जल नहीं पहुंच सका है।
केंद्र सरकार ने राज्यों से स्थिति में सुधार लाने को कहा
इस व्यवस्था के मामले में तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक बेहतरीन उदाहरण हैं, जबकि प्रमुख राज्यों में सबसे उदासीन परिणाम 21.40 प्रतिशत के साथ बिहार और झारखंड (21.57 प्रतिशत) का है। हालांकि, अब केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्यों से समीक्षा कर स्थिति में सुधार लाने के लिए कहा गया है।
तमिलनाडु पहले और हिमाचल दूसरे स्थान पर
राज्यवार स्थिति देखी जाए तो प्रमुख राज्यों में तमिलनाडु शीर्ष पर है। वहां 99.39 प्रतिशत स्कूलों में नल से जल पहुंचता है। दूसरे स्थान पर हिमाचल (98.25 प्रतिशत) और तीसरे स्थान पर कर्नाटक (89 प्रतिशत) है। चौथे स्थान पर हरियाणा (81.94 प्रतिशत), पांचवें पर महाराष्ट्र (67.88 प्रतिशत) पायदान पर है।
छठवें पर पंजाब (65.14 प्रतिशत), सातवें पर उत्तर प्रदेश (48.25 प्रतिशत), आठवें पर मध्य प्रदेश (46.22 प्रतिशत), नौवें पर बंगाल (42.28 प्रतिशत) और राजस्थान 41.48 प्रतिशत के साथ दसवें स्थान पर है।
बिहार-झारखंड की हालत हालत सबसे खराब
बिहार और झारखंड की स्थिति सबसे खराब है। बिहार में मात्र 21.40 प्रतिशत तो झारखंड में सिर्फ 21.57 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में नल से जल पहुंच सका है। केंद्र ने इसकी समीक्षा के लिए राज्यों के मुख्य सचिवों को संबोधित पत्र में यूडीआइएसई प्लस 2023-24 की प्रोविजनल रिपोर्ट नत्थी की गई है।