हिमाचल: एनपीए मामले पर पीएचसी से लेकर जिला अस्पतालों में काले बिल्ले लगाकर ड्यूटी दे रहे डॉक्टर
हिमाचल प्रदेश में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों में डॉक्टरों ने गुरुवार सुबह से काले बिल्ले लगाकर ड्यूटी दी। न प्रैक्टिस अलाउंस (एनपीए) मामले को लेकर डॉक्टरों में रोष है। हिमाचल प्रदेश में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों में डॉक्टरों ने गुरुवार सुबह से काले बिल्ले लगाकर ड्यूटी दी। हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ के महसचिव डॉ. विकास ठाकुर ने कहा कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आने वाले सप्ताह में कड़े फैसले लिए जाएंगे। शिमला में सुबह 9:30 बजे के करीब दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के बाहर डॉक्टरों ने गेट मीटिंग भी की।संघ के अनुसार चिकित्सक लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर सरकार से मिल रहे हैं, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिल रहे हैं। अभी तक उनकी मांगों को पूरी नहीं किया गया है। हालांकि, सात महीने पहले सरकार ने मांगों को पूरा करने की बात कही थी। गुरुवार को जिला मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर, कुल्लू सहित अन्य क्षेत्रीय अस्पतालों में चिकित्सकों ने काले बिल्ले लगाकर ड्यूटी देना शुरू किया। खनेरी अस्पताल के चिकित्सकों ने किया प्रदर्शन, बिल्ले लगाकर दी ड्यूटी
रामपुर बुशहर। एमपीए और अन्य समस्याओं का अभी तक हल नहीं होने पर महात्मा गांधी खनेरी अस्पताल के चिकित्सकों ने गुरुवार को काले बिल्ले लगाकर प्रदेश सरकार के खिलाफ रोष प्रकट किया। इस दौरान सुबह 9:00 बजे से सभी चिकित्सकों ने एक घंटा प्रदर्शन करने के बाद काले बिल्ले लगाकर मरीजों का उपचार किया। एचएमओए की रामपुर इकाई के सदस्य डॉ. राजेश्वर, डॉ. अजीत नेगी, डॉ. पदम नेगी, डॉ. संदीप नेगी और डॉ. संजय ने कहा कि डॉक्टरों को एनपीए और आठ दस सालों के बाद केवल 33,660 प्रतिमाह वेतन दिया जा रहा है। यह डॉक्टरों के साथ अन्याय है। उन्होंने डॉक्टरों को सालों से मिलने वाला एसीएस 4-9-14 को जल्द बहाल करने की मांग की है। सोलन में भी डॉक्टरों ने काले बिल्ले लगाए। इसके अलावा क्षेत्रीय अस्पताल धर्मशाला में भी डॉक्टरों ने गेट मीटिंग कर अपना विरोध जताया।
- नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (एनपीए) को बहाल किया जाए
- चिकित्सकों के पास पदोन्नति के बहुत कम पद स्वीकृत है। इस संदर्भ में उन्हें 4-9-14 एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम दी जाती थी, इसे फिर बहाल किया जाए।
- डायनेमिक करियर प्रोग्रेशन स्कीम केंद्र के बराबर लागू हो।
- रेगुलर डीपीसी नहीं करने से मेडिकल कॉलेज की मान्यताओं पर भी खतरा मंडरा रहा है। इसे नियमित किया जाए।
- 3 जून को प्रोजेक्ट डायरेक्टर एड्स कंट्रोल सोसायटी का कार्यभार स्वास्थ्य निदेशक को पुनः प्रदान करने का मामला अधर में लटका हुआ है।