हिमाचल प्रदेश में सूखे से 15 से 25 फीसदी पेयजल योजनाएं प्रभावित

प्रदेशभर में 15 से 25 फीसदी तक पानी की स्कीमें प्रभावित हुई हैं। इन योजनाओं के पानी में 50 फीसदी तक की गिरावट आई है। हिमाचल में पिछले तीन माह से बारिश न होने का असर पेयजल योजनाओं पर पड़ा है। प्रदेशभर में 15 से 25 फीसदी तक पानी की स्कीमें प्रभावित हुई हैं। इन योजनाओं के पानी में 50 फीसदी तक की गिरावट आई है। सबसे ज्यादा दिक्कत शिमला, कुल्लू, कांगड़ा, सिरमौर और अन्य जिलों में हो रही है। आने वाले दिनों में मौसम राहत दे सकता है। बता दें कि बारिश और बर्फबारी न होने से प्रदेश की सबसे बड़ी बिजली परियोजना नाथपा झाकड़ी समेत अन्य बिजली प्रोजेक्टों में भी विद्युत उत्पादन प्रभावित हुआ है।उधर, प्रदेश सरकार ने सभी जिलों से पेयजल योजनाओं के सूखने की रिपोर्ट तलब की है। इसके सोमवार तक आने की उम्मीद है। राजधानी शिमला को पेयजल आपूर्ति करने वाली चार पेयजल परियोजनाओं गिरि, कोटी बरांडी समेत अन्य में सूखे के चलते जलस्तर 25 से 30 फीसदी तक घट गया है। रामपुर क्षेत्र की भी 25 भी पेयजल योजनाएं इससे प्रभावित हुई हैं। सिरमौर जिले में 1409 पेजयल और 268 सिंचाई योजनाएं हैं।
इनमें 15 से 25 फीसदी आपूर्ति में कमी आई है। कड़ाके की ठंड के बीच कुल्लू व लाहौल में पेयजल स्रोत जाम होने लगे हैं। इससे दोनों जिलों में 40 पेयजल योजनाओं पर असर हुआ है। इन पेयजल योजनाओं में आपूर्ति 50 फीसदी तक रह गई है। बिलासपुर जिले में भी 25 फीसदी पानी की स्कीमें प्रभावित हैं। कांगड़ा जिला में 30 पेयजल परियोजनाओं के जलस्तर में 20 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है। धर्मशाला और पालमपुर के क्षेत्रों में पेयजल किल्लत शुरू हो गई। चंबा में भी पानी कम होना आरंभ हो चुका है। जिले के प्राकृतिक स्रोतों में 10 से 15 फीसदी तक जलस्तर में कमी आई है।
चंबा के जलशक्ति विभाग के अधीक्षण अभियंता राजेश मोंगा ने बारिश और बर्फबारी न होने की वजह से जलस्तर में कमी होने की बात स्वीकारी है। जिला मंडी की पानी की योजनाओं में सूखे का असर देखा जा रहा है। हालांकि अभी विभाग के अधिकारियों के मुताबिक संकट नहीं मंडराया है, लेकिन अगर जल्द जलस्तर पानी से रिचार्ज नहीं होते तो आने वाले दिनों में पानी की किल्लत हो जाएगी। मंडी जिले में कुल 1494 पेयजल योजनाएं हैं, जिनमें कुछ क्षेत्रों मंडी,सिराज, नाचन, सुंदरनगर, बल्ह, करसोग, द्रंग, सरकाघाट, धर्मपुर, जोगिंद्रनगर में सूखे का प्रभाव देखा जा रहा है।