दहशत के आठ महीने: होमगार्ड बनने रूस गए थे राकेश… जबरन युद्ध में उतारे गए
दहशत के आठ महीने: होमगार्ड बनने रूस गए थे राकेश… जबरन युद्ध में उतारे गए, किए सनसनीखेज खुलासे
हिंदी टीवी न्यूज़, सुल्तानपुर लोधी Published by: Megha Jain Updated Mon, 09 Dec 2024
बमबारी… विस्फोट… हर तरफ लाशें… और रूस-यूक्रेन जंग में पल-पल मौत को करीब से देखने के बाद सकुशल भारत लौटे राकेश यादव की आंखों में मौत का खौफ अभी भी साफ दिखाई देता है। उसके जेहन में हर तरफ उठती चीख-पुकार की दर्दनाक आवाजें आज भी कौंधती हैं। इन हालात में वतन वापसी की उम्मीद खो चुके राकेश ने तो एक बार तो आत्महत्या की कोशिश भी की थी।
सुल्तानपुर लोधी स्थित निर्मल कुटिया में राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल का धन्यवाद करने अन्य साथी परिवारों के साथ आए राकेश यादव ने भावुक होकर उनका आभार जताया, जिनके सहयोग से वह सकुशल परिवार के पास लौट पाया है।
मीडिया से मुखातिब राकेश यादव ने संत बलबीर सिंह सीचेवाल के सामने वहां के हालात के कई सनसनीखेज खुलासे किए। उसने बताया कि वहां यूक्रेन के ड्रोन हमले में उनका एक साथी मारा गया। उसकी जान इसलिए बच गई, क्योंकि ड्रोन देखते ही वह बंकर में कूद गया। इसी तरह एक अन्य घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 17 जून, 2024 को वहां उनके एक सहकर्मी की ग्रेनेड विस्फोट से मौत हो गई, लेकिन हैरानी तो इस बात की है कि रूसी सेना में शहीद हुए उनके साथी की मौत की खबर उनके परिवार को छह महीने बाद रूसी अधिकारियों ने दी।
रूस से लौटे राकेश यादव और पांच परिवार भी निर्मल कुटिया सुल्तानपुर लोधी पहुंचे। इनके युवा बच्चे अभी भी वहीं फंसे हुए हैं और अब भी लापता हैं। सीचेवाल ने परिवारों को आश्वासन दिया कि वे इस मामले को विदेश मंत्रालय तक ले जाएंगे और संसद के चालू सत्र में इस मामले को उठाने का प्रयास करेंगे।
राकेश यादव ने कहा कि उनके जबरन बैंक में एजेंटों की ओर से खाते खोले गए थे, जिनके पिन भी उनके एजेंटों के पास थे। उन्होंने बताया कि एजेंटों ने उनके खाते से करीब 45 लाख रुपये निकाल लिए, जो उन्हें सेना में जीवन-यापन वेतन और चोट के दौरान सरकार की ओर से दिए गए मुआवजे के रूप में मिले थे। उन्होंने कहा कि ऐसा सिर्फ उनके साथ ही नहीं, बल्कि सेना में जबरन काम करने वाले सभी भारतीयों के साथ एजेंटों ने किया है। राकेश दावा किया कि अभी भी रूस में 25 भारतीय जंग लड़ने को विवश हैं।
राकेश यादव ने आगे बताया कि उन्हें और उनके साथ करीब पांच अन्य साथियों को एजेंट ने आठ माह पहले होम गार्ड की नौकरी के लिए वहां बुलाया था, लेकिन जैसे ही वे वहां पहुंचे, उन्हें जबरन रूसी सेना में भर्ती करा दिया गया और उनसे रूसी भाषा में एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करवाए गए। बार-बार मना करने पर पिटाई की गई। 15 दिनों की हथियार ट्रेनिंग के बाद उन्हें रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की आग में झोंक दिया गया। सीचेवाल ने भारत सरकार और विदेश मंत्रालय से भारतीयों को जल्द से जल्द वापस लाने, इस गिरोह में शामिल एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और युवाओं को उनके हक की कमाई दिलाने की अपील की।