HP: घर में प्रदूषण से महिलाओं में समय से पहले शारीरिक बदलाव, 40 में मेनोपोज़

अध्ययन: घर में प्रदूषण के कारण समय से पहले महिलाओं में शारीरिक बदलाव, 40 की उम्र में ही मेनोपोज की समस्या
हिंदी टीवी न्यूज़, शिमला Published by: Megha Jain Updated Wed, 05 Mar 2025
अध्ययन में देश भर के 73,000 में से 24,862 पात्र प्रतिभागी शामिल रहे। इसमें समय से पहले रजोनिवृत्ति होने और धूम्रपान की स्थिति के बीच एक महत्वपूर्ण सहसंबंध की पहचान की गई।
घर के अंदर प्रदूषण से महिलाएं अर्ली मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) की चपेट में आ रही हैं। इससे महिलाओं में समय से पहले शारीरिक बदलाव आ रहे हैं और मासिक धर्म 40 साल की उम्र में ही बंद हो रहा है। घर में धूम्रपान करना या वायु प्रदूषण भी इसका कारण है। यह अध्ययन पीजीआई चंडीगढ़ के डॉ. प्रीतम हलधर ने किया है। इसमें आईजीएमसी शिमला के बाल रोग विभाग में कार्यरत डॉ. सुजाता सांख्यान समेत देश भर के कई विशेषज्ञों ने सहयोग किया है। उन्होंने यह अध्ययन नई दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों और देश के कई अन्य स्थानों पर किया। डॉ. सुजाता इस शोध अध्ययन में एम्स नई दिल्ली में शामिल हुई। उनका अध्ययन आईजीएमसी शिमला में भी जारी है। यह हिमाचल पर केंद्रित रहेगा। डॉ. सुजाता सांख्यान का 10 अन्य विशेषज्ञों के साथ लिखा गया शोध जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर में छपा है।
अध्ययन में देश भर के 73,000 में से 24,862 पात्र प्रतिभागी शामिल रहे। इसमें समय से पहले रजोनिवृत्ति होने और धूम्रपान की स्थिति के बीच एक महत्वपूर्ण सहसंबंध की पहचान की गई। हालांकि, अशुद्ध ईंधन का उपयोग करने वाली महिलाओं में समय से पहले रजोनिवृत्ति की संभावना में वृद्धि नहीं देखी गई। खराब वेंटिलेशन को इसका कारक माना गया। निष्कर्ष से पता चला कि धूम्रपान और प्रदूषकों जैसे कारणों से भारतीय महिलाओं में समय से पहले रजोनिवृत्ति के जोखिम महिलाएं प्रदूषण से ज्यादा प्रभावित होती हैं, जबकि घर के अंदर धूम्रपान करने से शहरी और ग्रामीण दोनों ही महिलाएं प्रभावित होती हैं। अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि घर के अंदर की हवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने से समय से पहले रजोनिवृत्ति को कम किया जा सकता है।
शोध-अध्ययन करने वाली टीम
मेडिकल कॉलेज भोपाल की डॉ. अनामिका सोनी, डॉ. सीएम चैइत्रा, एम्स रायबरेली के डॉ. अश्वनी सेठ, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल, नई दिल्ली की डॉ. अनामिका दास, चिकित्सा विभाग अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली के डॉ. सौम्यरूप पाल और प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायबरेली की डॉ. अपर्णा बरनवाल ने भी शोध अध्ययन में भाग लिया।