संस्मरण: सरयू पुल पर चलीं गोलियां-लाठियां, राम मंदिर बनाने के लिए नहीं टूटा मनोबल
वर्ष 1990 में अयोध्या के सरयू पुल पर चलीं गोलियां और लाठियां भी राम मंदिर बनाने की धुन लिए घरों से निकले सैकड़ों कार सेवकों के मनोबल को न तोड़ पाईं। चंबा जिला के सपड़ी मोहल्ला से ताल्लुक रखने वाले दीपक वर्मा भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर रखी गई नींव के साक्षी रहे हैं। चंबा जिला में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की नींव रखने वाले अपने पिता मंगत राम के नक्शेकदम पर चलते हुए दीपक बचपन में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए। अयोध्या में राम मंदिर बनाने को लेकर छेड़े गए आंदोलन के लिए विहिप के आह्वान पर चंबा से दीपक पठानकोट पहुंचे। यहां से उन्होंने रेल में सफर तय किया। लेकिन, तत्कालीन सरकार की ओर से की गई सख्ती के चलते उत्तर प्रदेश तक का अधिकांश सफर उन्हें पैदल ही तय करना पड़ा। दिन में लोगों के घरों में शरण लेकर रात के समय पैदल ही सफर तय करना पड़ता था। कई रातें भूखे तो कई रातें लोगों की ओर से दिए गए गुड़ और रोटी खाकर ही बिताईं। एक हफ्ते बाद अयोध्या पहुंचे। लाठीचार्ज के दौरान उनका एक बाजू फ्रैक्चर हो गया।