Cloudburst: 12वीं सदी में भी बाढ़ से तबाह हुई थी रियासतकालीन राजधानी सिरमौरी ताल, फिर हरे हुए जख्म
हिमाचल प्रदेश के सिरमौरी ताल ने एक बार फिर अपना सदियों पुराना इतिहास दोहरा दिया है। 12वीं शताब्दी में भीषण बाढ़ से नष्ट हुए सिरमौरी ताल में फिर मची तबाही ने लोगों के जख्म हरे कर दिए हैं। किवदंती के अनुसार नटनी के श्राप से गर्क हुए सिरमौरी ताल की चर्चा फिर लोगों की जुबां पर आ गई है। दरअसल, सिरमौरी ताल के विध्वंस का कारण नटनी के श्राप से जोड़ा जाता है। कभी सिरमौरी ताल सिरमौर रियासती की प्राचीन राजधानी हुआ करता था, जिसके विनाश के बाद काफी समय तक राजबन सिरमौर की राजधानी रही। इसे 1219 ईस्वी में राजा उदित प्रकाश ने यमुना और टौंस नदियों के संगम स्थल कालसी स्थानांतरित कर दिया गया था।

शिमला–मटौर मार्ग मूसलाधार बारिश के बाद पत्थर गिरने से बाधित, करीब 40 सड़कें भी ब्लॉक; करोड़ों का हुआ नुकसान
शिमला मटौर मार्ग पर मूसलाधार बारिश के बाद पत्थर और मलबा गिरने से मार्ग बाधित हो गया। जिले में देर रात को हुई बारिश ने करोड़ों का नुकसान कर दिया है। जिले में इस बारिश से करीब 40 सड़कें अवरुद्ध हो गयी हैं। इनमें अधिकतर सड़कें घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र की हैं। कुठेड़ा, हरलोग क्षेत्र सड़कों के बंद होने से बाकी हिस्सों से कट गए हैं।
देश में बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने के कारण अब तक नुकसान का आकलन 6742.38 करोड़ पहुंच गया है। अभी तक 234 लोगों की विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है। मानसून के दौरान 917 मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं। 7679 मकानों को नुकसान हुआ है। 267 दुकानों के साथ 2539 गौशालाओं को नुकसान पहुंचा है।