आचार संहिता की आड़ में रोके गए नियुक्ति और पदोन्नतियों से जुड़े मामले
Himachal High Court: आचार संहिता की आड़ में रोके गए नियुक्ति और पदोन्नतियों से जुड़े मामले, अब सरकार को HC ने दिए ये आदेश
Himachal High Court हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आदर्श आचार संहिता के चलते नियुक्तियां व प्रमोशन रोके जाने के मामले को गंभीरता से लिया। हाई कोर्ट ने सुक्खू सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर भी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि आदर्श आचार संहिता की आड़ में सरकार रूटीन व सामान्य काम रोक देती है। वक्त आ गया है कि इस व्यवस्था को बदला जाए।
HIGHLIGHTS
- आचार संहिता में नियुक्ति व पदोन्नति रोकने पर स्पष्ट निर्देश दें मुख्य सचिव
- हाई कोर्ट ने कहा-आचार संहिता को अघोषित पेनडाउन स्ट्राइक भी कहना गलत नहीं
- आचार संहिता एक ऐसा दस्तावेज, जिससे सरकार व जनता के नियमित कार्यों में नहीं है बाधा
शिमला। Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने आदर्श चुनाव आचार संहिता के कारण कर्मचारियों की नियुक्तियां और पदोन्नतियां रोके जाने को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी करने का आदेश दिया।
कोर्ट (Himachal High Court) ने कहा कि आचार संहिता को अघोषित पेन डाउन स्ट्राइक भी कहा जा सकता है, जिसकी आड़ में सरकार के नियमित कार्यों सहित सामान्य कार्य भी रोक दिए जाते हैं।
पदोन्नति से जुड़े मामलों के निपटारा को लेकर आदेश जारी
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने पदोन्नति से जुड़े मामले का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किया।
कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट में आचार संहिता की आड़ में रोकी गई कर्मचारियों की नियुक्तियों और पदोन्नतियों से जुड़े मामलों की बाढ़ आ गई है।
अब समय आ गया है कि सरकार इस संबंध में जरूरी निर्णय ले। मुख्य सचिव को आदेश देते हुए कहा कि वह सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश जारी कर साफ करें कि आचार संहिता एक ऐसा दस्तावेज है, जिससे सरकार अथवा जनता के नियमित कार्यों में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती।
खाली पदों को नहीं किया गया कंसीडर
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से सेवानिवृत्त प्रार्थी सतिंदर कुमार के अनुसार विश्वविद्यालय में पहली नवंबर, 2017 को अधीक्षक ग्रेड दो के खाली हुए पद के लिए उसे पात्रता के बावजूद कंसीडर नहीं किया गया। 30 नवंबर, 2017 को वह बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो गया।
30 दिसंबर, 2017 को उसने एक प्रतिवेदन प्रस्तुत कर उसे पहली नवंबर, 2017 से पदोन्नत किए जाने की मांग की, जिसे विश्वविद्यालय ने खारिज करते हुए कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद नियमानुसार पदोन्नति नहीं दी जा सकती।
2017 में की गई हिमाचल विधानसभा चुनाव की घोषणा
दूसरा कारण बताते हुए विश्वविद्यालय का कहना था कि 12 अक्टूबर, 2017 को हिमाचल प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी ने विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी थी, जिस कारण प्रदेश में आचार संहिता लागू हो गई। इस कारण प्रार्थी को पदोन्नत नहीं किया जा सका और वह आचार संहिता के लागू रहते अपने पद से सेवानिवृत्त हो गया।
कोर्ट ने विश्वविद्यालय की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि आचार संहिता की आड़ में प्रार्थी को उसके कानूनी लाभों से कैसे रोका जा सकता है।
यह विश्वविद्यालय का कानूनी और संस्थागत कर्तव्य था कि वह समय रहते खाली होने वाले पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर देता। कोर्ट ने प्रार्थी की याचिका को स्वीकार करते हुए उसे नियत तिथि से पदोन्नत करने का आदेश जारी किया।