CPS Case: 2005 में एक्ट निरस्त हुआ तो 2006 में नया बना,
CPS Case: 2005 में एक्ट निरस्त हुआ तो 2006 में नया बना, कांग्रेस-भाजपा सरकारों ने नियुक्त किए सीपीएस
मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति के लिए 2005 में एक्ट निरस्त होने के बाद साल 2006 में हिमाचल प्रदेश संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और संशोधन) अधिनियम 2006
बनाया गया। हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति के लिए 2005 में एक्ट निरस्त होने के बाद साल 2006 में हिमाचल प्रदेश संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और संशोधन) अधिनियम 2006 बनाया गया। इस नए एक्ट में कांग्रेस और भाजपा की सरकारों ने प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियां कीं। 2005 का एक्ट निरस्त होने के बाद कांग्रेस सरकार को 12 मुख्य संसदीय सचिवों को पद से हटाना पड़ा था। अब 19 साल बाद फिर कांग्रेस सरकार से छह मुख्य संसदीय सचिव हटेंगे। साल 2009 में तीन सीपीएस की धूमल सरकार ने की नियुक्ति की। इस दौरान सतपाल सिंह सत्ती, वीरेंद्र कंवर और सुखराम चौधरी को झंडी मिली। 2013 में वीरभद्र सरकार में नौ मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियां कीं। इसी दौरान देश के कई राज्यों में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियों से जुड़े मामले कोर्ट में पहुंच गए। जयराम सरकार में नहीं हुई नियुक्ति
इसके चलते जयराम सरकार में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति नहीं हुई। वर्ष 2005 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार की ओर से नियुक्त 12 मुख्य संसदीय सचिवों, संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अवैध और असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया। 18 अगस्त 2005 को प्रदेश हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वीके गुप्ता और न्यायाधीश दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने मुख्य संसदीय सचिवों और संसदीय सचिवों की नियुक्ति को संविधान के प्रावधानों के विपरीत पाते हुए रद्द कर दिया था। सीपीएस पद पर नियुक्तियों का सबसे पहला विवाद भी हिमाचल में ही सामने आया था। हाईकोर्ट के फैसले से खड़ी हुई कानूनी उलझनों को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार ने 2007 में सीपीएस की नियुक्ति के लिए विधानसभा से एक्ट पास कराया। इसमें उनकी नियुक्ति से लेकर उनके वेतन भत्ते, शक्तियां सभी के नियम बनाए गए। सीपीएस पद पर नियुक्ति का मामला वर्ष 2016 में फिर से तब उठाया गया जब दिल्ली सरकार के मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्ति पर सवाल उठे।