Dehradun News: बीमारी ने यूं घेरा- अस्पताल की ओपीडी में पहुंचे 2168 मरीज
Dehradun News: बीमारी ने यूं घेरा- अस्पताल की ओपीडी में पहुंचे 2168 मरीज, इन रोगों से पीड़ित मिले बुजुर्ग और बच्चे
दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा. नारायणजीत का कहना है कि दिन में धूप निकलने पर लोग कम कपड़े पहनकर निकलते हैं। शाम को मौसम ठंडा हो जाता है। ऐसे में लोग बुखार के साथ सर्दी खांसी और गले में जकडऩ की समस्या लेकर अस्पताल आ रहे हैं। सोमवार को मेडिसिन की ओपीडी में 567 मरीज पहुंचे।
देहरादून। मौसम का मिजाज लोगों को बीमार कर रहा है। सुबह-शाम व दोपहर में भी ठंड का असर, ठंडी हवाएं, बादल छाए रहने के कारण सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार के मरीज बढ़ रहे हैं। दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में फिलवक्त ओपीडी में मरीजों की खासी भीड़ है। स्थिति यह है कि सोमवार को ओपीडी 2168 पहुंच गई। इनमें 1876 नए मरीज थे।
सजगता ही बचाव, श्वास रोगी बरतें सावधानी दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक एवं श्वाग रोग के विभागाध्यक्ष डा. अनुराग अग्रवाल के अनुसार मनुष्य की क्षमता 24 घंटे में तापमान में अधिकतम 10 डिग्री सेल्सियस का अंतर सहने की है।
इस समय अंतर मानक से ज्यादा है, इसलिए खांसी, सर्दी-जुकाम और वायरल के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। सर्वाधिक दिक्कत अस्थमा के मरीजों के साथ है। मौसम के इस बदलाव को झेलने के लिए दिनचर्या में सजगता बढ़ानी होगी। शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखने के लिए गुनगुने पानी का सेवन और नहाने के लिए भी गुनगुने पानी का ही इस्तेमाल करें।
मेडिसिन में 60 प्रतिशत मरीज सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार के
दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा. नारायणजीत का कहना है कि दिन में धूप निकलने पर लोग कम कपड़े पहनकर निकलते हैं। शाम को मौसम ठंडा हो जाता है। ऐसे में लोग बुखार के साथ सर्दी, खांसी और गले में जकडऩ की समस्या लेकर अस्पताल आ रहे हैं। सोमवार को मेडिसिन की ओपीडी में 567 मरीज पहुंचे।
इनमें 60 प्रतिशत मरीज सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार के हैं। उनका कहना है कि बुखार, खांसी, बदन दर्द जैसे लक्षण वाले लोग खुद एंटीबायोटिक या कोई दवा न लें। चिकित्सक की सलाह पर ही दवा खाएं। इस वक्त पहनावे पर खास ध्यान दें। आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक सहित अन्य ठंडी चीजों का सेवन न करें।
मम्प्स की समस्या के साथ पहुंच रहे बच्चे
दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में मम्प्स से पीड़ित बच्चे प्रतिदिन इलाज के लिए पहुंच रहें है। मम्प्स जिसे गलसुआ व आमतौर पर हप्पू भी कहा जाता है। वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. अशोक के अनुसार यह एक तरह का वायरल संक्रमण है, जो बुखार के साथ शुरू होता है। मम्प्स से गले में सूजन आ जाती है, जिस कारण मरीज को भोजन करने, पानी पीने आदि में दिक्कत होती है।
उन्होंने बताया कि संक्रमण से बचने का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है। दवाइयों के सहारे भी मम्प्स को ठीक किया जा सकता है। अमूमन सात से आठ दिनों में यह बीमारी ठीक हो जाती है। इसके अलावा निमोनिया, कोल्ड डायरिया के भी काफी मामले आ रहे हैं।
तीन बच्चों में एच-1 एन-1 की पुष्टि
मौसम के बदलाव के बीच इन्फ्लुएंजा एच-1 एन-1 के मरीज भी लगातार मिल रहे हैं। बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में फिलवक्त एच-1 एन-1 से पीडि़त तीन बच्चे भर्ती हैं। जिनकी उम्र एक से 12 वर्ष के बीच है। इनकी स्थिति सामान्य है।