Haryana: डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे मेडिकल कॉलेज, पीजीआई रोहतक में 50 फीसदी तक पद खाली
डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे मेडिकल कॉलेज
एक तरफ हरियाणा सरकार प्रदेश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का ड्रीम प्रोजेक्ट लेकर चल रही है, दूसरी ओर पहले से स्थापित राजकीय मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी बनी हुई है। कर्मचारियों और अधिकारियों का यह टोटा कोई अभी नहीं हुआ, बल्कि कई साल से यह स्थिति है। आलम ये है कि प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान पीजीआई रोहतक में 50 प्रतिशत तक पद खाली पड़े हैं, जबकि यहां सबसे अधिक मरीजों का दबाव है। डॉक्टरों और स्टाफ की कमी से मरीजों की परेशानी बढ़ने के साथ तैनात कर्मचारियों पर भी काम का दबाव बढ़ता जा रहा है। मरीजों का इलाज वाले इन मेडिकल कॉलेजों को खुद बड़ी सर्जरी की जरूरत है।बीपीएस महिला मेडिकल कॉलेज खानपुर कलां, कल्पना चावला मेडिकल कालेज करनाल, नल्हड़ मेडिकल कालेज और फरीदाबाग के छायसां मेडिकल कालेज में भी स्टाफ की कमी हैं। यह मुद्दा कई बार विधानसभा में भी गूंज चुका है, लेकिन कई साल बीतने के बाद भी डॉक्टरों और सहयोगी स्टाफ की कमी दूर नहीं हो पाई है।
तीन नए मेडिकल कॉलेजों में डेपुटेशन पर भेजा जाएगा स्टाफ
महेंद्रगढ़-नारनौल, भिवानी और जींद में इसी साल मेडिकल कॉलेज के भवन बनकर तैयार हो जाएंगे। इन तीनों मेडिकल कॉलेजों को चलाने के लिए डॉक्टरों के साथ-साथ पैरा मेडिकल और क्लेरिकल स्टाफ की जरूरत पड़ेगी। शुरुआत में इन कॉलेजों मे डेपुटेशन पर स्टाफ भेजा जाएगा, ताकि ओपीडी शुरू हो सके। अगर ऐसा किया गया तो पहले से चल रहे मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी और बढ़ जाएगी, क्योंकि इन्हीं पांचों कॉलेजों से ही स्टाफ को नए मेडिकल कॉलेजों में भेजा जाएगा।