Himachal: अनुबंध कर्मियों को वरिष्ठता का लाभ पिछली तारीख से मिलेगा
Himachal: अनुबंध कर्मियों को वरिष्ठता का लाभ पिछली तारीख से मिलेगा, हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल के निर्देश बरकरार
हिंदी टीवी न्यूज़, शिमला Published by:Megha Jain Updated Fri, 06 Dec 2024
प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल की ओर से अनुबंध कर्मचारियों को वरिष्ठता का लाभ पिछली तारीख से देने के निर्देश बरकरार रखे हैं। अदालत के इस फैसले से हिमाचल के हजारों कर्मचारियों को लाभ होगा।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल की ओर से अनुबंध कर्मचारियों को वरिष्ठता का लाभ पिछली तारीख से देने के निर्देश बरकरार रखे हैं। अदालत के इस फैसले से हिमाचल के हजारों कर्मचारियों को लाभ होगा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई की। खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए सरकार को पिछली तारीख से वरिष्ठता लाभ देने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने अपने 27 नवंबर के आदेशों में साफ किया था कि विभाग अदालत के आदेशों की अनुपालना नहीं करेगा तो प्रधान सचिव आरडी नजीम को व्यक्तिगत तौर पर 1 लाख रुपये की कॉस्ट अदालत का बहुमूल्य समय बर्बाद करने की एवज में लगाई जाएगी। कोर्ट ने सरकार की दलीलों से असहमति जताते हुए प्रधान सचिव आरडी नजीम को राहत दी है कि उन पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।
अदालत ने कहा कि सरकार ने पहले ट्रिब्यूनल के फैसले को डबल बैंच में चुनौती दी। डबल बैंच ने भी इसे रद्द कर दिया। सरकार फिर इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की इस अपील को खारिज कर दिया। राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में दायर एलपीए भी रद्द हो गई। अब याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में एग्जीक्यूशन याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2017 के टिब्यूनल के आदेशों की आज तक अनुपालना नहीं की गई है। इस पर अदालत ने सरकार के इस रवैये पर कडी आपत्ति जताई है। आवेदकों को अनुबंध के आधार पर की गई सेवाओं को उनके नियमितीकरण के बाद वरिष्ठता और अन्य लाभों के उद्देश्य से गिना जाना चाहिए।
याचिकाकर्ताओं का मानना है कि इनकी प्रांरभिक अनुबंध नियुक्तियां भर्ती व पदोन्नति नियमों में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने के बाद हुई थीं। अदालत ने रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर पाया कि याचिकाकर्ताओं को तब से पदोन्नत किया जाना था जब से उनके जूनियरों को पदोन्नति दी गई थी। याचिकाकर्ता इंस्पेक्टर ग्रेड वन के तौर पर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे थे। याचिकाकर्ताओं की ओर से हाईकोर्ट में एक्जीक्यूशन याचिका दायर की गई थी, जिसमें ट्रिब्यूनल ने उनकी सारी प्रारंभिक संविदा सेवाओं को और उसके बाद नियमितीकरण को वरिष्ठता में गिने जाने का फैसला पारित किया था। सरकार ट्रिब्यूनल के इस फैसले को लागू नहीं कर रही थी। महाधिवक्ता ने दलीलों में कहा कि डीपीसी 2016 में लागू की गई। सरकार वरिष्ठता देने को तैयार है, पर पदोन्नति नहीं। सरकार को अब सारे लाभ पिछली तारीख से देने होंगे।