Himachal: उत्तर भारत के सबसे लंबे केबल स्टेड ब्रिज को पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी

Himachal Pradesh: उत्तर भारत के सबसे लंबे केबल स्टेड ब्रिज को पर्यावरण मंत्रालय की हरी झंडी
हिंदी टीवी न्यूज़, हमीरपुर Published by: Megha Jain Updated Tue, 25 Feb 2025
उत्तर भारत के सबसे लंबे 860 मीटर फोरलेन केबल स्टेड और वायाडक्ट पुल के निर्माण के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से प्रथम चरण की मंजूरी मिल गई है।
ऊना जिले में गोबिंद सागर झील पर लठियाणी से बिहडू तक प्रस्तावित उत्तर भारत के सबसे लंबे 860 मीटर फोरलेन केबल स्टेड और वायाडक्ट पुल का रास्ता साफ हो गया है। इसके निर्माण के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से प्रथम चरण की मंजूरी मिल गई है। इस पुल के दोनों ओर आठ किमी लंबा फोरलेन भी बनेगा। इसके लिए वन भूमि से कुल 380 पेड़ कटेंगे। द्वितीय चरण की मंजूरी के मुआवजे की राशि सहित अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से इस प्रोजेक्ट का निर्माण किया जा रहा है।
वन भूमि के अलावा इस प्रोजेक्ट के तहत सरकारी और लोगों की निजी भूमि से 3,688 पेड़ कटेंगे। वन भूमि के साथ अन्य पेड़ों की कुल संख्या 4068 बन रही है। हालांकि सरकारी और निजी भूमि पर पेड़ों को प्रदेश वन विभाग से मंजूरी मिलना अभी बाकी है। प्रोजेक्ट के पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी मिलने से अब जमीनी स्तर पर कार्य शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है। इस पुल के टेंडर की बिडिंग भी पूरी हो चुकी है। तीन नामी कंपनियां टेंडर की दौड़ में हैं। इस पुल के निर्माण के लिए बीबीएमबी से क्लीयरेंस पिछले साल ही मिल गई थी। प्रोजेक्ट की कुल लागत 897 करोड़ प्रस्तावित है। पुल निर्माण से हमीरपुर-ऊना वाया बड़सर की दूरी 80 किमी से 21 किमी कम होकर 59 किमी रह जाएगी। 40 मिनट का सफर भी कम होगा। प्रोजेक्ट में 480 मीटर लंबा केबल स्टेड और 380 मीटर वायडक्ट पुल बनेगा।
माइनर और वायडक्ट पुल का होगा निर्माण
इस पुल के दोनों छोर की ओर कुल आठ किमी लंबा फोरलेन भी बनेगा। इस फोरलेन पर 50 मीटर का माइनर पुल और 150 मीटर एक वायडक्ट पुल बनेगा। इसके अलावा प्रोजेक्ट में दो व्हीकल ओवर पास और दो व्हीकल अंडर पास का निर्माण भी प्रस्तावित हैं।
14 गांवों से होकर गुजरेगा प्रोजेक्ट
यह प्रोजेक्ट 14 गांवों से होकर गुजरेगा। अभी लठियाणी से बिहडू जाने के लिए लोगों को बंगाणा होकर अतिरिक्त सफर करना पड़ता है या मोटरबोट का सहारा लेना पड़ता है। यह पुल गोबिंद सागर के दोनों छोर पर पड़ने वाले अलयाना से बदघर को आपस में जोड़ेगा।
लठियाणी से बिहडू तक प्रस्तावित पुल के निर्माण के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से प्रथम चरण की मंजूरी मिल गई है। इस प्रोजेक्ट के लिए कुल 380 पेड़ वन भूमि से कटेंगे- सुशील ठाकुर, साइट इंजीनियर, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय