Himachal: कड़ी शर्तों के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों को 21.40 करोड़
Himachal: कड़ी शर्तों के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों को 21.40 करोड़, साथ में केंद्र ने प्रदेश सरकार को दी चेतावनी
हिंदी टीवी न्यूज़, शिमला। Published by: Megha Jain Updated Tue, 31 Dec 2024
केंद्र सरकार ने चीन सीमा से सटे क्षेत्रों के लिए कड़ी शर्तों के साथ बजट जारी किया है। केंद्र ने दोटूक निर्देश दिए हैं कि नियमानुसार बजट खर्च नहीं किया तो इसे अगले बजट से घटा दिया जाएगा।
केंद्र सरकार ने चीन सीमा से सटे किन्नौर और लाहौल-स्पीति के क्षेत्रों के लिए कड़ी शर्तों के साथ बजट जारी किया है। सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बीएडीपी) में राज्य सरकार को केंद्र ने 21.40 करोड़ रुपये जारी किए हैं और साथ ही दोटूक निर्देश दिए हैं कि नियमानुसार बजट खर्च नहीं किया तो इसे अगले बजट से घटा दिया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन विभाग ने इन्हीं निर्देशों के साथ राज्य सरकार को यह बजट जारी किया है। केंद्र सरकार ने यह धनराशि केंद्रीय भाग के रूप में जारी की किया गया है, जबकि हिमाचल प्रदेश सरकार को इसके लिए अपने हिस्से के 2 करोड़ 37 लाख 80 हजार रुपये खर्च करने को कहा गया है।
अगर इस बजट पर किसी तरह की कमाई या ब्याज वगैरह लिया गया तो इसे भारत सरकार के कंसोलिडेटिड फंड में जमा करना होगा। इसमें यह भी कहा गया है कि इस बजट को खर्च करते वक्त किसी अन्य योजना के साथ ओवरलैपिंग नहीं की जाएगी। चाहे वह योजना केंद्र सरकार की हो या फिर हिमाचल सरकार की ही हो। इस बजट के तहत कोई भी पूंजी केवल भारत सरकार की जमीन पर ही खड़ी की जाएगी। अगर भविष्य में यह पाया गया कि अगर इस योजना के तहत रखी गई शर्तों के तहत बजट को खर्च नहीं किया गया तो जारी किए जाने वाले बजट के साथ इसे एडजस्ट दिया जाएगा।
मूलभूत सुविधाओं पर खर्च होता है बजट
सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बीएडीपी) का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटे दुर्गम और दूरदराज इलाकों में रहने वाले लोगों की विकासात्मक जरूरतों को पूरा करना है। इस कार्यक्रम में बुनियादी ढांचे का विकास किया जाता है, जिससे कि लोगों को रोजगार भी मिले। सीमावर्ती क्षेत्रों में आदर्श गांवों का विकास, इन गांवों में बेहतर कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य, शिक्षा, जल आपूर्ति, स्वच्छता जैसी सुविधाएं भी इसमें शामिल होती हैं। इनमें जैविक खेती को बढ़ावा, सौर, पर्यटन स्थलों पर पार्किंग, कैंटीन जैसी सुविधाएं देना, सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण भी शामिल हैं।