Himachal: नई शिक्षा नीति ने चिंता में डाले अभिभावक
नई शिक्षा नीति ने चिंता में डाले अभिभावक
हिमाचल प्रदेश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रदेश में नए नियमों के तहत पहली कक्षा में केवल छह साल के बच्चे ही स्कूलों में प्रवेश पा सकते हैं। इसके चलते इस बार प्रदेश के हजारों बच्चों के दाखिलों को लेकर उनके अभिभावक चिंता में हैं।हालांकि पहली बार लागू होने वाले इन नियमों के चलते इस बार सरकार की ओर से छह महीने की रिलैक्सेशन का प्रावधान भी किया गया है। इसके चलते इस सत्र में 30 सितंबर तक छह साल पूरा करने वाले छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा, लेकिन अगले साल से पहली अप्रैल तक के ही बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिया जाएगा। हिमाचल प्रदेश के हजारों बच्चों के माता-पिता व अभिभावकों ने छात्रों के दाखिले में इस वर्ष सहित आगामी वर्ष में आने वाली समस्याओं को दुरुस्त किए जाने की मांग जोर-शोर से उठाई है। अभिभावकों ने बताया है कि इस वर्ष छात्रों को एक्स्ट्रा साल लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि आगामी वर्ष में भी पहली अप्रैल के बाद कुछ दिनों या कुछ सप्ताह-माह के अंतर से पूरे छह वर्ष पूरे के चक्कर में एक वर्ष व्यर्थ जाते हुए दिखाई दे रहा है, ऐसे में हर वर्ष उचित राहत प्रदान किए जाने की रणनीति बनाने की मांग रखी है।
कांगड़ा के क्षेत्रों के तहत आते बच्चों के अभिभावकों में कुमारी इंद्रा, राजकुमार, नीशा बालिया, सुनील कुमार, मोनिता ठाकुर, मधुलिका, ज्योतिवाला, कविता ठाकुर, आदित्य, सुमित शर्मा, अनिल कुमार, प्रिया, अजय, विशाल कपूर आदि का कहना है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत स्कूलों में पहली कक्षा में बच्चों के दाखिले को लेकर छह वर्ष से अधिक आयु का निर्धारण किया गया है। हज़ारों छात्रों को नए नियमों के तहत प्रवेश प्रक्रिया में बढ़ी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। जब बच्चों को स्कूल में प्री-नर्सरी व नर्सरी में दाखिले करवाए थे, तो उस समय छह आयु वर्ष के नियम को लागू नहीं किया गया था, ऐसे में अधिकतर अभिभावकों के बच्चे साढ़े चार व पांच वर्ष की आयु में यूकेजी में पढ़ाई कर रहे हैं, कुछेक छह वर्ष की आयु पूरी करने से पहले यानि की पांच, पांच प्लस में ही पहली कक्षा में पहुंच गए हैं। साथ ही जो बच्चे आगामी वर्ष में छह वर्ष के होंगे, उन्हें भी पहली में दाखिला नहीं मिल रहा है, ऐसे में छह प्लस का इंतजार करना पड़ रहा है।
अब छात्रों के संबंधित स्कूलों में छह वर्ष आयु व छह माह की छूट के बावजूद दाखिले के योग्य न पाए जाने पर उन्हें फिर से पूर्व में पास की गई कक्षाओं में बिठाया जा रहा है। दाखिले में छूट मात्र इस वर्ष के लिए प्रदान की गई है, जबकि अधिकतर बच्चे आगामी वर्ष में छह वर्ष के हो जाएंगे, कई बच्चों की आयु दो अप्रैल के बाद की है। ऐसे में बच्चों को मात्र कुछ दिनों या कुछ माह एक अप्रैल के बाद पूरे छह वर्ष के होने पर आगामी वर्ष पहली कक्षा में प्रवेश से वंचित रहना पड़ेगा।