HPSEB Protest: शिमला में गरजे बिजली बोर्ड कर्मचारी, बोले- मांगें नहीं मानीं तो करेंगे उग्र आंदोलन
पुरानी पेंशन बहाल नहीं होने से नाराज बिजली बोर्ड कर्मचारियों ने वीरवार को प्रदेश भर में हल्ला बोला। बोर्ड मुख्यालय कुमार हाउस शिमला सहित प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में भोजनावकाश के दौरान बोर्ड की कर्मचारी यूनियनों और इंजीनियरों के संयुक्त मोर्चे के बैनर तले प्रदर्शन किए गए। इस दौरान स्मार्ट मीटर लगाने और बोर्ड से परियोजनाओं, संचार व उत्पादन विंगों को अलग करने का विरोध किया गया।
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी को दोबारा नियुक्ति देने के फैसले पर मुख्यमंत्री सुक्खू से पुनर्विचार करने की मांग भी की गई। प्रदर्शन में कर्मचारियों के अलावा पेंशनर भी शामिल हुए। राजधानी शिमला स्थित बिजली बोर्ड मुख्यालय कुमार हाउस के बाहर सैकड़ों कर्मचारियों और अभियंताओं ने अपनी मांगो को लेकर नारेबाजी की। प्रबंधन के माध्यम से मुख्यमंत्री को बोर्ड विघटन से नुकसान बारे एक ज्ञापन भी सौंपा।
इस अवसर पर संयुक्त मोर्चा के सह-संयोजक हीरा लाल वर्मा ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार से कर्मचारियों को बहुत ज्यादा अपेक्षाएं हैं लेकिन अफसरशाही द्वारा बिजली बोर्ड को कमजोर करने बारे एक के बाद एक लिए जा रहे फैसलों से बिजली कर्मचारियों की भावनाएं आहत हुई हैं। बिजली बोर्ड में अभी तक पुरानी पेंशन बहाल नहीं हो पाई है। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी अफसरशाही आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जानबूझ कर पुरानी पेंशन बहाली की अधिसूचना को टाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 3,000 करोड़ रुपये की स्मार्ट मीटरिंग कर प्रदेश की जनता व बिजली बोर्ड पर अतिरिक्त बोझ डालने की तैयारियां हैं। बिजली बोर्ड से परियोजनाओं, संचार व उत्पादन विंगों को अलग करने का सीधा-सीधा असर प्रदेश के बिजली कर्मचारी, पेंशनरों व बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
कर्मचारियों व पेंशनरों की सामाजिक सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। बिजली उपभोक्ताओं को बिजली खपत की अदायगी महंगी दरों से करनी पडे़गी। उन्होंने बिजली नियामक आयोग व ट्रांसमिशन यूटिलिटी को भी आगाह करते हुए कहा की वह बिजली बोर्ड के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदलें और इसकी कार्य प्रणाली में दखलंदाजी कम करें। संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने बिजली बोर्ड में नियमित प्रबंध निदेशक को नियुक्त करने की मांग भी उठाई।
कहा बीते चार माह से बोर्ड को एक अस्थायी प्रबंध निदेशक से चलाया जा रहा है, इससे बोर्ड की कार्य प्रणाली में ठहराव आ गया है। आलम यह है कि 20 मई को हुई सर्विस कमेटी के मिनट्स अभी तक लागू नहीं हो पाए हैं। पदाधिकारियों ने कहा कि अगर मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो कर्मचारी और पेंशनर सड़कों पर उतरने को विवश होंगे।