Kangra parliamentary seat: प्रत्याशियों के चेहरों से नहीं छंटी धुंध, इंतजार लंबा खिंच रहा
कांगड़ा संसदीय सीट से कांग्रेस और भाजपा के चुनावी चेहरों पर छाई धुंध अभी छंटी नहीं है। दोनों ही ओर प्रत्याशी चयन पर मंथन और फैसले का इंतजार लंबा खिंच रहा है। 13 लोगों के आवेदनों के बावजूद कांग्रेस में बात नहीं बन पाई है। प्रदेश नेतृत्व और पार्टी हाईकमान आवेदन करने वालों से हटकर भी कुछ अन्य नामों पर विचार कर रहा है। संकेत है कि आवेदनों को दरकिनार कर हाईकमान किसी और पर भी दाव लगा सकता है। उधर, भाजपा अपने प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर, प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव भारद्वाज और बागी विधायक सुधीर शर्मा के बीच उलझी है।
कांगड़ा सीट से कांग्रेस के टिकट के लिए देहरा से पार्टी के प्रदेश कोषाध्यक्ष डॉ. राजेश शर्मा, नूरपुर के नानक चंद कश्यप व सुदर्शन शर्मा, जयसिंहपुर के संजय राणा, नगरोटा बगवां के सतीश कुमार, हटली सिंहुता के डॉ. सुशील कुमार शर्मा, पालमपुर के मेजर जनरल धर्मवीर सिंह राणा व केके कटोच, धर्मशाला के अश्वनी कुमार चौधरी व विक्रम चौधरी, कांगड़ा के विनय शर्मा व नागेश्वर मनकोटिया और बैजनाथ से कुलदीप राणा ने आवेदन किए हैं।
सभी ने बाकायदा 10-10 हजार रुपये के शुल्क के साथ अपना विस्तृत ब्योरा सौंप कर दावेदारी जताई है, लेकिन पार्टी स्तर पर कुछ और नाम भी चयन प्रक्रिया में जोड़ लिए गए हैं। कांगड़ा प्रदेश की सियासत की धुरी माना जाता है और मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का फोकस भी कांगड़ा पर है। आम चुनाव का बिगुल बजने से पहले सीएम के धुआंधार दौरे इसका संकेत पहले ही दे चुके हैं। संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के 11 विधायकों की मौजूदगी उन्हें कांगड़ा सीट से उम्मीद भी बंधा रही है। इसलिए, दमदार प्रत्याशी की तलाश में आवेदन करने वालों से अलग नामों को भी शामिल कर लिया गया है।
सूत्रों के अनुसार पूर्व मंत्री आशा कुमारी, कांगड़ा जिला कांग्रेस अध्यक्ष कर्ण पठानिया और सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के अध्यक्ष संजय चौहान के नाम पर भी चर्चा चल रही है। प्रदेश कांग्रेस कोषाध्यक्ष डाॅ. राजेश शर्मा, सेवा विस्तार पर चल रहे कांगड़ा के सीएमओ डॉ. सुशील कुमार शर्मा और पूर्व सैन्य अधिकारी धर्मवीर राणा भी दौड़ में हैं। भाजपा में कांगड़ा सीट से त्रिलोक कपूर व राजीव भारद्वाज के नाम पैनल में बताए जा रहे हैं। त्रिलोक कपूर गद्दी राजपूत हैं और जनजातीय मतदाताओं का इस सीट पर खासा प्रभाव है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की गुड बुक्स में भी उन्हें माना जाता है। बात करें ब्राह्मण चेहरे की तो राजीव भारद्वाज पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के करीबियों में गिने जाते हैं। बताया जा रहा है कि पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा की बगावत ने टिकट को लेकर तीसरा कोण भी बना दिया है। बदले सियासी समीकरण में सुधीर शर्मा की भूमिका तय करना भी पार्टी हाईकमान के लिए जरूरी हो गया है। सूत्रों के अनुसार कांगड़ा से सिटिंग एमपी किशन कपूर का नाम हालांकि पीछे हो गया है, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी है। वह इंतजार कर रहे हैं।