Lok Sabha Election: हिमाचल के तीन पूर्व सीएम लांघ चुके हैं संसद की दहलीज
Lok Sabha Election: हिमाचल के तीन पूर्व सीएम लांघ चुके हैं संसद की दहलीज, संभाली बड़े महकमों की कमान
वीरभद्र सिंह ने तीन और शांता कुमार ने दो बार केंद्र में बड़े महकमों की कमान भी संभाली। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल ने भी बड़े महकमों को संभाला।
हिमाचल प्रदेश के तीन पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल भी संसद की दहलीज लांघ चुके हैं। वीरभद्र सिंह ने तीन और शांता कुमार ने दो बार केंद्र में बड़े महकमों की कमान भी संभाली। वीरभद्र सिंह दो बार राज्यमंत्री और एक बार केंद्रीय इस्पात मंत्री रहे। शांता कुमार एक बार खाद्य नागरिक एवं उपभोक्ता और दूसरी बार ग्रामीण विकास मंत्री रहे। प्रेम कुमार धूमल केंद्र में मंत्री नहीं रहे, लेकिन वह तीन बार सांसद रहे हैं। हिमाचल में हो रहे लोकसभा चुनाव में भाजपा जहां शांता कुमार, धूमल की ओर से किए गए विकास कार्यों के बारे में जनता को अवगत रही है, वहीं कांग्रेस पार्टी वीरभद्र सिंह के केंद्रीय मंत्री रहते हिमाचल के लिए किए गए विकास कार्यों का भी हवाला दे रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पहली बार 1962 में महासू से चुनकर लोकसभा के सदस्य बने। 1967 में इसी संसदीय क्षेत्र से दूसरी बार सांसद चुने गए। 1971 में मंडी लोकसभा क्षेत्र को अपनी कर्म भूमि चुना। उनके गृह जिला शिमला का रामपुर विधानसभा क्षेत्र इस संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। यहां से सांसद चुने जाने के बाद वह केंद्र में 1976 में उप नागरिक उड्डयन मंत्री बने। 1980 में केंद्र में उद्योग राज्यमंत्री बने। 2009 में वीरभद्र सिंह ने फिर मंडी सीट से जीते और मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में केंद्रीय इस्पात मंत्री बने। पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार 1989 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए।
1998, 1999 और 2014 में लोकसभा सदस्य के रूप में चुने गए। शांता 1999 में केंद्रीय खाद्य नागरिक एवं उपभोक्ता मंत्री बने और 2003 में उनके पास ग्रामीण विकास मंत्रालय था। वर्ष 1977-1980 तक पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद 1990 से 1992 तक दोबारा प्रदेश की बतौर मुख्यमंत्री कमान संभाली। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल तीन बार सांसद रहे हैं। वर्ष 1989, 1991 और 2007 में वह संसद चुने गए। प्रेम कुमार धूमल दो बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे हैं। वर्ष 1998 और 2007 में उन्होंने हिमाचल की सत्ता संभाली।