Ram Mandir: एक रामायण ऐसी भी… जिसकी शुरुआत बिस्मिल्लाह से
Ram Mandir: एक रामायण ऐसी भी… जिसकी शुरुआत बिस्मिल्लाह से; यहां संरक्षित है फारसी में लिखा गया यह ग्रंथ
Ayodhya Ram Mandir: एक रामायण ऐसी है, जिसकी शुरुआत बिस्मिल्लाह से होती है। फारसी में लिखी गई यह रामायण रजा लाइब्रेरी में संरक्षित है। मुगलकाल में सुमेर चंद ने वाल्मीकि रामायण का फारसी में अनुवाद किया था। राम-सीता के 258 चित्रों का संग्रह भी इसे आकर्षक बनाता है।
वैसे तो हिंदू ग्रंथों की शुरुआत ऊं या श्री गणेशाय नम: से होती है, लेकिन रामपुर की रजा लाइब्रेरी में फारसी में लिखी गई वाल्मीकि रामायण की शुरुआत बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम से हुई है। सुमेरचंद ने 1713 में संस्कृत में लिखी गई वाल्मीकि रामायण का फारसी में अनुवाद किया था।
ऐसा कहा जाता है कि सुमेरचंद ने मुगल बादशाह फर्रुखसियर के कहने पर वाल्मीकि रामायण का फारसी में अनुवाद किया था। रामपुर की रजा लाइब्रेरी ज्ञान का खजाना है। यहां पर दुर्लभ पांडुलिपियों का संग्रह भी उपलब्ध है। इस लाइब्रेरी में हजरत अली के हाथ लिखी कुरान उपलब्ध है तो फारसी में लिखी गई रामायण भी।
इस रामायण में स्याही की जगह सोने की पानी का प्रयोग किया गया है। इसे कीमती पत्थरों से सजाया गया है। इस रामायण में मुगल शैली में बने 258 चित्रों का इस्तेमाल किया गया है। तस्वीरों में राम, सीता और रावण अलग दिखते हैं। चित्रों में दिखाए गए पात्रों के आभूषण, कला, वास्तुकला, वेशभूषा मुगलकालीन के हिंदुस्तान की झलक दिखाते हैं।
फारसी रामायण का हिंदी में किया अनुवाद
रजा लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन अबु साद इस्लाही के मुताबिक बाद में फारसी रामायण का हिंदी में अनुवाद भी किया गया। ये काम प्रो. शाह अब्दुस्सलाम और डॉ. वकारुल हसल सिद्दीकी ने किया। फारसी रामायण का हिंदी अनुवाद भी रजा लाइब्रेरी में मौजूद है।