Sirmaur News: इंडियन टेक्नोमैक कंपनी की उड़ीसा में करोड़ों की संपत्ति अटैच
Sirmaur News: इंडियन टेक्नोमैक कंपनी की उड़ीसा में करोड़ों की संपत्ति अटैच
#Himachal Pradesh News इंडियन टेक्नोमैक कंपनी की उड़ीसा में करोड़ों की संपत्ति जब्त की गई है। इंडियन टेक्नोमैक कंपनी के प्रबंध निदेशक राकेश शर्मा और उसके अन्य पदाधिकारी द्वारा फर्जी कंपनियां बनाकर फर्जी तरीके से कंपनियों की प्रोडक्शन दिखाई तथा बैंकों से भारी भरकम लोन लेकर उस धन राशि को मनी लांड्री के तहत दूसरे राज्यों तथा दूसरी कंपनियों में इन्वेस्ट किया।
हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े कर एवं कर्ज घोटाले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय ) ने कार्रवाई करते हुए पांवटा साहिब की इंडियन टेक्नोमैक कंपनी के प्रबंध निदेशक राकेश शर्मा की उड़ीसा में 21.15 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच की है। बता दें कि इंडियन टेक्नोमैक कंपनी द्वारा 2008 से 2013 तक विभिन्न बैंकों से करीब 1600 करोड़ का लोन फर्जी तरीके से लिया था।
दूसरी कंपनियों ने किया इन्वेस्ट
इंडियन टेक्नोमैक कंपनी के प्रबंध निदेशक राकेश शर्मा और उसके अन्य पदाधिकारी द्वारा फर्जी कंपनियां बनाकर फर्जी तरीके से कंपनियों की प्रोडक्शन दिखाई तथा बैंकों से भारी भरकम लोन लेकर उस धन राशि को मनी लांड्री के तहत दूसरे राज्यों तथा दूसरी कंपनियों में इन्वेस्ट किया। वर्ष 2014 में हिमाचल प्रदेश आबकारी एवं कराधान विभाग की इकोनामिक इंटेलिजेंस यूनिट ने 6000 करोड़ के कर एवम कर्ज घोटाले में पांवटा साहिब के जगतपुर स्थित इंडियन टेक्नोमैक कंपनी को सीज कर लिया था।
सीआईडी ने किया मामला दर्ज
कंपनी ने आबकारी एवं कराधान विभाग का 2200 करोड रुपए का वेट चोरी किया था। इसके बाद हिमाचल प्रदेश सीआईडी ने मामला दर्ज कर शुरू की थी। उसके बाद मॉर्निंग लॉन्ड्रिंग का मामला सामने आने पर प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी) ने मामले में अलग से अपनी एफआईआर कर मामले में छानबीन शुरू की। मामले में छानबीन के बाद हाल ही में ईडी ने इंडियन टेक्नोमैक कंपनी के मालिक राकेश शर्मा की उड़ीसा में 18 प्रॉपर्टीयों को अटैच कर लिया है।
उड़ीसा की संपत्ति को अटैच कर लिया गया
इन 18 प्रॉपर्टीज को अटैक किए जाने में उड़ीसा में भूमि और फ्लैट, कटक में प्लॉट, उड़ीसा में आवासीय फ्लैट और मैसेंजर अनमोल माइंस प्राइवेट लिमिटेड भुवनेश्वर उड़ीसा की संपत्ति को अटैच कर लिया है। जिसकी कुल कीमत 21.15 करोड रुपए आंकी गई है। इंडियन टेक्नोमैक कंपनी के निदेशकों द्वारा विभिन्न अधिकारियों तथा कर्मचारियों के साथ मिलकर अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट के द्वारा फर्जी कंपनियां बनाकर फर्जी तरीके से बैंकों से करोड़ों रुपए का लोन हड़प लिया था।