Sugam Darshan system: काशी विश्वनाथ, उज्जैन महाकाल मंदिर की तर्ज पर चिंतपूर्णी में लागू हुई सुगम दर्शन प्रणाली
काशी विश्वनाथ, उज्जैन महाकाल, तिरूपति और शिरडी साईं मंदिर की प्रणाली को विस्तार से अध्ययन करने के बाद इसे यहां लागू किया गया है।
प्रसिद्ध शक्तिपीठ माता चिंतपूर्णी में सुगम दर्शन प्रणाली को देश के चार बड़े मंदिरों में अध्ययन के बाद तैयार किया गया है। काशी विश्वनाथ, उज्जैन महाकाल, तिरूपति और शिरडी साईं मंदिर की प्रणाली को विस्तार से अध्ययन करने के बाद इसे यहां लागू किया गया है। लिफ्ट के दुरूपयोग और कतार में दर्शन के लिए इंतजार कर रहे श्रद्धालुओं की दिक्कतों को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने यह फैसला लिया है। सुगम दर्शन प्रणाली को लागू करने के पीछे का कारण भीड़ को नियंत्रित करना भी है। ताकि सही तरीके से कतार व्यवस्था भी चलती रहे।
पूर्व में चिंतपूर्णी मंदिर में लिफ्ट से होकर मंदिर तक पहुंचने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। रेफरेंस और लिफ्ट के आगे एकत्रित होकर कुछ लोग दबाव बनाकर यहां से जाते थे। इसी का कुछ लोग फायदा भी उठा रहे थे।
इसी के साथ चोर रास्तों से भी कुछ श्रद्धालु बीच लाइन में घुस रहे थे। लिफ्ट के दुरूपयोग के मामले संज्ञान में आने पर उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने लिफ्ट से दर्शन को तत्काल प्रभाव से बंद करवाया। करीब एक सप्ताह से अधिक समय तक लिफ्ट बंद रहने के बाद पास जारी कर श्रद्धालु लिफ्ट से भेजे जाने लगे।
पास में भी कुछ अनियमितताएं सामने आने पर आधार ओटीपी आधारित सॉफ्टवेयर शुरू किया गया और ओटीपी दिखाकर दर्शन करवाए गए। अब इसी प्रक्रिया के अनुसार सुगम दर्शन के लिए 1100 रुपये शुल्क (पांच सदस्य), बुजुर्ग और दिव्यांगजन के अटेंडेंट के लिए 50 रुपये शुल्क लिया जा रहा है। आगामी 17 से 25 अगस्त तक होने वाले श्रावण अष्टमी मेले में इस प्रणाली का काफी प्रभाव देखने को मिलेगा।
प्रणाली से आएगी पारदर्शिता और चोर रास्तों पर भी लगेगी लगाम
ऑनलाइन वेबसाइट से भी बुक होंगे सुगम दर्शन पास ः आने वाले दिनों में ऑनलाइन वेबसाइट से सुगम दर्शन पास बुक होंगे। इसके लिए सॉफ्टवेयर को वेबसाइट से लिंक किया जाएगा। ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन कोटा भी तय किया जाएगा। वेबसाइट में एक या तीन माह तक के स्लॉट ओपन रहेंगे। वर्तमान में एक दिन का अधिकतम 500 पास जारी करने का कोटा तय किया गया है।
माता चिंतपूर्णी मंदिर में सुगम दर्शन प्रणाली को देश के बड़े मंदिरों में अध्ययन करके मंदिर न्यास की बैठक में चर्चा कर लागू किया गया है। कुछ मंदिरों का ऑनलाइन अध्ययन किया गया। जबकि, कुछ मंदिरों की कमेटियों से दूरभाष पर राय ली गई।