Sukhbir Badal: दिसंबर में सुनाई जा सकती है सुखबीर को धार्मिक सजा
Sukhbir Badal: दिसंबर में सुनाई जा सकती है सुखबीर को धार्मिक सजा, पद छोड़ने से जत्थेदारों को हुई आसानी
हिंदी टीवी न्यूज, अमृतसर (पंजाब) Published by: Megha Jain Updated Mon, 18 Nov 2024
सुखबीर बादल को 30 अगस्त को श्री अकाल तख्त साहिब से तनखाहिया घोषित किया गया था। जत्थेदार रघबीर सिंह ने तनखाहिया घोषित करते हुए यह भी आदेश दिया था कि जब तक सुखबीर तख्तों के सिंह साहिबान के समक्ष पेश होकर लिखित माफी नहीं मांग लेते, तब तक वह तनखाहिया ही रहेंगे।
दो माह से तनखाहिया घोषित किए गए सुखबीर बादल के शिअद अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद पांच तख्त साहिब के जत्थेदारों के लिए धार्मिक सजा सुनाना आसान हो गया है।
सुखबीर अब एसजीपीसी के सदस्यों व पदाधिकारियों पर दबाव नहीं डाल पांएगे। बागी अकाली सिंह साहिबान से अपील कर रहे थे कि सुखबीर को राजनीतिक तौर पर भी सजा दी जाए। संभावना है कि दिसंबर में किसी भी दिन सुखबीर बादल को श्री अकाल तख्त साहिब पर तलब करके धार्मिक सजा सुनाई जा सकती है।
सुखबीर को अब राजनीतिक सजा की जगह धार्मिक सजा जैसे बर्तन साफ करना, गुरुद्वारा में पाठ करना-सुनना, संगत के जोड़ो की सेवा करना, गुरुद्वारा में सफाई की सेवा करना करनी, रागियों व ढाडियों के लिए खुद लंगर तैयार करना जैसी सजा सुनाई जा सकती है।
सुखबीर बादल को 30 अगस्त को श्री अकाल तख्त साहिब से तनखाहिया घोषित किया गया था। जत्थेदार रघबीर सिंह ने तनखाहिया घोषित करते हुए यह भी आदेश दिया था कि जब तक सुखबीर तख्तों के सिंह साहिबान के समक्ष पेश होकर लिखित माफी नहीं मांग लेते, तब तक वह तनखाहिया ही रहेंगे। इस दौरान वह राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक व अन्य गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकेंगे। सिंह साहिबान ने स्पष्ट किया था कि सुखबीर को छोड़कर कोई भी अकाली नेता विधानसभा के उपचुनाव प्रचार में भाग ले सकता है और चुनाव भी लड़ सकता है।
सुखबीर के प्रभाव के चलते अकाली नेताओं ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर सुखबीर के बिना विधानसभा उपचुनाव लड़ने का इन्कार करते हुए इसका बायकाॅट कर दिया था। सुखबीर ने 31 अगस्त, 2024 को ही लिखित माफीनामा श्री अकाल तख्त साहिब सौंप कर सिंह साहिबान का हर आदेश स्वीकार करने की बात कही थी। उन्होंने उनकी सजा के संबंध में जल्द ही जत्थेदार रघबीर सिंह से कोई फैसला लेने की अपील की थी, लेकिन ढाई महीने बीतते के बाद भी इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है।
तीन दिन पहले भी वह जत्थेदार की गैर मौजूदगी में लिखित माफीनामा के साथ दोबारा श्री अकाल तख्त सचिवालय में पेश हुए थे। इस दौरान कुर्सी टूटने के गिरने से उनके दाएं पैर में फ्रैक्चर हो गया था। इसके बाद उन्होंने शिअद अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया था। डॉक्टरों ने सुखबीर को आराम की सलाह दी थी। डॉक्टरों ने सुखबीर को कंपलीट बेड रेस्ट के लिए कहा है।